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किसानों की मांगों पर गौर करने के लिये सरकार की समिति बनाने की पेशकश,

By भाषा | Updated: December 1, 2020 19:18 IST

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है। सरकार की ओर से तीन केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान यह प्रस्ताव रखा।

सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे चली बैठक में सरकार की तरफ से रखे गये इस प्रस्ताव का जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से नहीं आया है। लेकिन वे सभी किसान प्रतिनिधि नये तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर एकमत हैं। किसान प्रतिनिधियों की राय में उक्त कानून कृषक समुदाय के हित के खिलाफ हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी और किसान उनकी उपज खरीदने के लिये बड़े पूंजीपतियों की दया पर निर्भर हो जायेंगे।

सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी।

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में बैठक के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब के एक सांसद भी हैं) ने भाग लिया।

बैठक के लिए पहुंचने पर तोमर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उनके मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा के लिए तैयार हैं। देखते हैं क्या होता है।’’

उन्होंने आगे कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद सरकार उनके समस्याओं का समाधान निकालेगी।

सभा स्थल के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

बैठक से कुछ घंटे पहले, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, तोमर और गोयल तथा भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा के बीच केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर वृहद चर्चा हुई।

शुक्रवार को हुई हिंसा की घटना के बाद किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सोमवार को गाजीपुर की सीमा पर भी प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या बढ़ी है।

विपक्षी दलों ने भी अपना दबाव बढ़ा दिया है और केंद्र सरकार से किसानों के ‘‘लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान’’ करने और नये कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कहा है।

इससे पूर्व 13 नवंबर को हुई एक बैठक गतिरोध तोड़ने में विफल रही थी और अगली बैठक मूल रूप से तीन दिसंबर के लिए निर्धारित की गई, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते यह बैठक पहले की करनी पड़ी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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