दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर के बाजारों में आ रही गिरावट को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ बड़े फैसले लिए हैं। यही वजह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मोबाइल फोन पर लगने वाले GST को 12% से बढ़ाकर 18% करने का फैसला किया गया है। इसके अलावा, सरकार ने हाथ से बनी और मशीन से बनी दोनों तरह की माचिस पर GST की दर बढ़ाकर 12% कर दी है।
इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विमानों के कल पुर्जे के रखरखाव, मरम्मत आदि सेवाओं पर 18% से घटाकर 5% जीएसटी दर करने का फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई 2020 से इन्फोसिस को एक बेहतर जीएसटी प्रणाली सुनिश्चित करनी होगी। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी भुगतान में देरी पर एक जुलाई से शुद्ध कर देनदारी पर ब्याज लगेगा।
इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यस बैंक के मामले में मीडिया से बात की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से यह पता लगाने के लिए कहा है कि येस बैंक में क्या गलत हुआ और इसमें व्यक्तिगत स्तर पर जवाबदेही तय की जानी चाहिये।
रिजर्व बैंक द्वारा येस बैंक के बोर्ड को भंग करने और जमा खाताधारकों की निकासी सीमा तय करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक की 2017 से निगरानी की जा रही थी और इससे संबंधित गतिविधियों की हर दिन निगरानी की गई।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2017 से बैंक में प्रशासन संबंधी मसले, कमजोर अनुपालन, गलत परिसंपत्ति वर्गीकरण जैसी स्थिति को पाया। उन्होंने कहा कि कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने येस बैंक प्रबंधन में बदलाव का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ये फैसले बैंक के हित में किए गए और सितंबर 2018 में एक नए सीईओ की नियुक्ति हुई। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को भी येस बैंक में अनियमितताओं का पता चला। सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक तात्कालिकता की भावना के साथ यथोचित कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करे।
उन्होंने कहा कि पुनर्गठन योजना 30 दिनों में पूरी तरह प्रभावी हो जाएगी और एसबीआई ने येस बैंक में निवेश करने की इच्छा जताई है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि येस बैंक के कर्मचारियों की नौकरी, वेतन एक साल तक सुरक्षित रहने का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें येस बैंक ने कर्ज दिया था।