New Income Tax Law: 622 पृष्ठों वाला नया आयकर विधेयक कल संसद में पेश होगा?, 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा, जानें मुख्य बातें और क्या होंगे बदलाव

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 12, 2025 14:08 IST2025-02-12T14:07:25+5:302025-02-12T14:08:23+5:30

New Income Tax Law: लोकसभा में 536 धाराओं और 23 अध्यायों में तैयार 622 पृष्ठों वाला एक व्यवस्थित और सरलीकृत आयकर विधेयक, 2025 बृहस्पतिवार को पेश किए जाने की संभावना है।

New Income Tax Law live 622 pages presented 13 feb effect April 1, 2026, know main points changes Simplified language Key details announced | New Income Tax Law: 622 पृष्ठों वाला नया आयकर विधेयक कल संसद में पेश होगा?, 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा, जानें मुख्य बातें और क्या होंगे बदलाव

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Highlightsनए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ शब्द की जगह ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है।निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है तथा सरलीकृत विधेयक के तहत केवल कर वर्ष लाया गया है।होगा। कानून बनने के बाद यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा, जो समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद जटिल हो गया था। प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ शब्द की जगह ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है। साथ ही, मू

New Income Tax Law: मोदी सरकार ने बहुप्रतीक्षित आयकर विधेयक, 2025 की एक प्रति प्रकाशित की है। इसे 13 फरवरी (गुरुवार) को संसद में पेश किया जाएगा। 536 धाराओं और 23 अध्यायों में तैयार 622 पृष्ठों वाला एक व्यवस्थित और सरलीकृत आयकर विधेयक, 2025 है। महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक सरल शब्दावली की शुरुआत है। जिसमें 'आकलन वर्ष' की जगह 'कर वर्ष' और 'पिछले वर्ष' की जगह 'वित्तीय वर्ष' आएगा। यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। कानून बनने के बाद यह विधेयक छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा, जो समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद जटिल हो गया था। प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ शब्द की जगह ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है।

साथ ही, मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान में, पिछले वर्ष (2023-24) में अर्जित आय के लिए, कर का भुगतान निर्धारण वर्ष (2024-25) में किया जाता है। इस नये विधेयक में पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है तथा सरलीकृत विधेयक के तहत केवल कर वर्ष लाया गया है।

आयकर विधेयक, 2025 में 536 धाराएं शामिल हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के 298 धाराओं से अधिक हैं। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी। हालांकि, अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है, जिसमें पिछले छह दशकों में किए गए संशोधन शामिल हैं।

जब आयकर अधिनियम, 1961 लाया गया था, तो इसमें 880 पृष्ठ थे। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा, ‘‘धाराओं में यह वृद्धि कर प्रशासन के लिए एक अधिक व्यवस्थित दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें आधुनिक अनुपालन तंत्र, डिजिटल शासन और व्यवसायों एवं व्यक्तियों के लिए सुव्यवस्थित प्रावधान शामिल हैं।

नए कानून 16 अनुसूची और 23 अध्याय हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आयकर अधिनियम, 1961 से एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इससे पहले, आयकर विभाग को विभिन्न प्रक्रियात्मक मामलों, कर योजनाओं और अनुपालन ढांचे के लिए संसद का दरवाजा खटखटाना पड़ता था।

अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं पेश करने, नौकरशाही में देरी कम करने और कर प्रशासन को अधिक गतिशील बनाने का अधिकार दिया गया है।’’ प्रस्तावित कानून के अनुसार, सीबीडीटी अब कर प्रशासन नियमों को लागू कर सकता है, अनुपालन उपायों को पेश कर सकता है और खंड 533 के अनुसार लगातार विधायी संशोधनों की आवश्यकता के बिना डिजिटल कर निगरानी प्रणाली को लागू कर सकता है। विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे विस्तृत चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजे जाने की संभावना है।

प्रस्तावित कानून में कर विवादों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में घोषणा की थी कि नया कर विधेयक संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। सीतारमण ने पहली बार जुलाई 2024 के बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी।

सीबीडीटी ने समीक्षा की देखरेख और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था, जो विवादों, मुकदमों को कम करेगी और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता प्रदान करेगी। इसके अलावा, आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियों की स्थापना की गई है।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया और सुझाव चार श्रेणियों में आमंत्रित किए गए थे: भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी, और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधान। आयकर विभाग को आयकर कानून की समीक्षा को लेकर संबद्ध पक्षों से 6,500 सुझाव मिले हैं। 

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