नए कृषि कानून बाजार की आजादी का नया दौर शुरु करने वाले: आर्थिक सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: January 29, 2021 19:26 IST2021-01-29T19:26:28+5:302021-01-29T19:26:28+5:30

New Agricultural Laws Starting a New Age of Market Freedom: Economic Survey | नए कृषि कानून बाजार की आजादी का नया दौर शुरु करने वाले: आर्थिक सर्वेक्षण

नए कृषि कानून बाजार की आजादी का नया दौर शुरु करने वाले: आर्थिक सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 29 जनवरी वार्षिक आर्थिक समीक्षा में नए कृषि कानूनों का मजबूती से पक्ष रखते हुए कहा गया है कि ये तीन कानून किसानों के लिए बाजार की आजादी के एक नए युग की शुरुआत करने वाले हैं।

समीक्षा में कहा गया है कि इन तीन कानूनों का भारत में छोटे और सीमांत किसानों का जीवन सुधारने की दिशा में दीर्घकालिक लाभ हो सकता है। इन कानूनों को ‘मुख्य रूप से’ छोटे और सीमांत किसानों के फायदे को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। लगभग 85 प्रतिशत किसान इन्हीं श्रेणियों में आते हैं और ये एक ‘प्रतिगामी’ एपीएमसी (कृषि मंडी कानून) द्वारा विनियमित बाजार व्यवस्था के सबसे अधिक सताए लोग हैं।

इस पूर्व-बजट दस्तावेज ने इन कानूनों का ऐसे समय पक्ष रखा है जबकि कई किसान संगठन इनको वापस लिए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर दो माह से अधिक समय से धरना दे रहे हैं।

आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है, ‘‘ (पहले की) कई आर्थिक समीक्षाओं में एपीएमसी (कृषि उत्पाद मंडी समितियों) के कामकाज और इस तथ्य पर चिंता व्यक्त की चा चुकी है कि वे एकाधिकार को प्रोत्साहित करती हैं। विशेष रूप से, वर्ष 2011-12, वर्ष 2012-13, वर्ष 2013-14, वर्ष 2014-15, वर्ष 2016-17, वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा में, इस संदर्भ में आवश्यक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया गया था।।”

सर्वेक्षण में वर्ष 2001 के बाद से कृषि-बाजार सुधारों को लेकर की गई सिफारिशों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग और मोंटेक सिंह अहलूवालिया की अध्यक्षता वाले ‘रोजगार के अवसर पर कार्यबल’ के अलावा कई अन्य की सिफारिशें शामिल हैं।

कृषि मंडी संबंधी के सुझावों में किसानों को अपने उत्पादों को सीधे प्रसंस्करण कारखाने या निजी क्षेत्र को बेचने का विकल्प देने, कृषि विपणन बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए राज्यों के एपीएमसी अधिनियमों और आवश्यक वस्तु अधिनियम का संशोधन करने जैसे प्रस्ताव किए गए थे। इनका उद्येश्य था कि कृषि जिंसों के बाधा मुक्त भंडारण और कृषि वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित किया जा सके।

संसद में 2020 के सितंबर महीने में, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसानों के (सशक्तीकरण और संरक्षण) का समझौता अधिनियम 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 - ये तीन कानून, पारित किए गए ।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि नए कृषि कानूनों ने बाजार की आजादी के एक नए युग की शुरुआत की है और इनका भारत में किसान कल्याण की स्थिति में सुधार की दिशा में दूरगामी लाभ होगा।

नए कृषि कानूनों के लाभों पर प्रकाश डालते हुए, सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में किसानों को अपनी उपज को बेचने में विभिन्न प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। अधिसूचित एपीएमसी मार्केट यार्ड के बाहर कृषि उपज बेचने के मामले में किसानों पर प्रतिबंध थे।

किसानों को केवल राज्य सरकारों के पंजीकृत लाइसेंसधारियों को ही अपनी उपज बेचने के लिए बाध्य रहना पड़ता था। इसके अलावा, राज्य सरकारों द्वारा लागू विभिन्न एपीएमसी विधानों के कारण विभिन्न राज्यों के बीच कृषि उपज को लाने या ले जाने के मुक्त प्रवाह में बाधाएं मौजूद थीं।

इसके अलावा, सर्वेक्षण में कहा गया है कि एपीएमसी के नियमों के परिणामस्वरूप वास्तव में बहुत सी खामियां उजागर हुई हैं और परिणामस्वरूप किसानों को नुकसान हुआ है।

इसमें कहा गया है, ‘‘किसानों और उपभोक्ताओं के बीच कई मध्यस्थों की उपस्थिति से किसानों का लाभ प्रभावित होता रहा है। इसके अलावा, एपीएमसी द्वारा लगाए गए करों और उपकरों की लंबी सूची के कारण किसानों का लाभ प्रभावित होता है, जबकि केवल इन करों का बहुत मामूली हिस्सा ही मंडी आधारभूत ढांचा के विकास पर खर्च किया जाता है। इसमें कहा गया है कि मंडी परिसर में बुनियादी ढांचे की स्थिति खराब है और किसानों के लिए उचित मूल्य नहीं मिलता है।’’

हाथ से नाप तौल, एकल खिड़की प्रणाली और आधुनिक वर्गीकरण और छंटाई प्रक्रियाओं की कमी से काफी देरी होती है और माप त्रुटियां तो विक्रेता के खिलाफ ही होती हैं।

सर्वेक्षण में कहा गया है, "मौजूदा बाजार नियमों की उपरोक्त सीमाओं को स्वीकार करते हुए, विभिन्न समितियों ने कृषि वस्तुओं के विपणन में कई सुधारों की सिफारिश की थी।"

सर्वेक्षण के अनुसार, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसानों के (सशक्तीकरण और संरक्षण) का समझौता अधिनियम से प्रसंस्करणकर्ताओं, थोक व्यापारी, एग्रीगेटर्स, बड़े फुटकर व्यापारियों, निर्यातकों के साथ समझौते समय किसानों की स्थित मजबूत करेगा और प्रतिस्पर्धा के बराबरी का स्तर प्रदान करेगा।

यह किसान से बाज़ार के अप्रत्याशित उतार चढ़ाव के जोखिम को प्रायोजक की ओर हस्तांतरित करेगा और किसान को आधुनिक तकनीक और बेहतर कृषि लागतों तक पहुँच देगा।

कानून में किसानों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है, क्योंकि किसानों की भूमि की बिक्री, पट्टे या बंधक पूरी तरह से निषिद्ध हैं और किसानों की भूमि भी किसी भी तरह की वसूली से सुरक्षित है।

किसानों को उपज के लिए अपनी पसंद का बिक्री मूल्य तय करने के लिए अनुबंध में पूरी शक्ति होगी। वे अधिकतम तीन दिनों के भीतर भुगतान प्राप्त कर सकेंगे।

इस कानून के तहत पूरे देश में 10,000 किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना है।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 में आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटा दिया गया है। इसका उद्देश्य निजी निवेशकों के मने से व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामकीय हस्तक्षेप का भय दूर करना है।

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Web Title: New Agricultural Laws Starting a New Age of Market Freedom: Economic Survey

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