कपास की उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार के लिए तेजी से कदम उठाने की जरूरत: गोयल

By भाषा | Updated: October 7, 2021 21:40 IST2021-10-07T21:40:08+5:302021-10-07T21:40:08+5:30

Need to take fast steps to increase productivity, improve quality of cotton: Goyal | कपास की उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार के लिए तेजी से कदम उठाने की जरूरत: गोयल

कपास की उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार के लिए तेजी से कदम उठाने की जरूरत: गोयल

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कपास की उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए तेजी से कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के यह जरूरी है।

उन्होंने कारखानों से खुद का मूल्यांकन करने और गुणवत्ता, उत्पादकता तथा प्रौद्योगिकी की संस्कृति शुरू करने के लिए भी कहा।

सीआईटीआई के एक वेबिनार में उन्होंने कहा, ‘‘आज हम 360 लाख गांठ कपास उत्पादन के साथ पहले स्थान पर हैं, जो विश्व उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है। हम भारत में उगाये गये अपने कपास उत्पाद के शुद्ध निर्यातक हैं। हालांकि, हमें अब कपास की उत्पादकता बढ़ाने और हमारे किसानों द्वारा उगाए गए कपास की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे।’’

उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते के संदर्भ में विकसित देशों के साथ बातचीत जारी है। यह सूती कपड़ा क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धा का समान अवसर प्रदान करने और व्यापक अवसर प्रदान करने में मदद करेगा।

मंत्री ने कहा, ‘‘भारत का सूती वस्त्र तैयार करने के मामले में 3,000 से अधिक वर्षों से वैश्विक एकाधिकार है। हमें वैश्विक कपास उद्योग में उसी प्रभुत्व को वापस लाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि पहली बार भारतीय कपास की ब्रांडिंग को विश्व स्तर पर मान्यता मिलनी शुरू हो गई है तथा कस्तूरी कॉटन के वैश्विक स्तर पर 'ब्रांड इंडिया' के प्रीमियम कच्चे माल के रूप में उभरने की क्षमता है।

इसके अलावा, मंत्री ने किसानों से खेत स्तर पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 'कपास' निकालने वाली मशीनों का उपयोग करने का आग्रह किया।

गोयल ने कहा, ‘‘हमें अब गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि हम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए कपास की लागत को उचित और प्रतिस्पर्धी स्तर पर रखते हुए अपने किसानों की उपज और लाभ मार्जिन में वृद्धि कर सकें।’’

उन्होंने कहा कि उत्पादकता को 457 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 800-900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जो मोटे तौर पर वैश्विक औसत है।

निर्यात के बारे में उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में निर्यात मौजूदा 33 अरब डॉलर से तीन गुना होकर 100 अरब डॉलर होना चाहिए।

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