सरसों में सुधार, सोयाबीन, पाम एवं पामोलीन तेल की कीमतों में गिरावट
By भाषा | Published: November 30, 2020 09:06 PM2020-11-30T21:06:17+5:302020-11-30T21:06:17+5:30
नयी दिल्ली, 30 नवंबर अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट के रुख के बीच सोमवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कम भंडार रहने और मांग बढ़ने से सरसों तेल कीमतों में सुधार देखने को मिला। दूसरी ओर मलेशिया एक्सचेंज के एक प्रतिशत की गिरावट और जाड़े की मांग घटने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
शिकागो एक्सचेंज में भी दो प्रतिशत की गिरावट के कारण सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन) को छोड़कर सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश में बीज के लिए सोयाबीन के बेहतर दाने की अधिक मांग है। उन्होंने बताया कि बाजार में 50-60 प्रतिशत क्षतिग्रस्त दाने आ रहे हैं इसलिए मध्य प्रदेश में बीज के लिए इसके अच्छे दाने की मांग बढ़ने के साथ सोयाबीन खली की निर्यात एवं घरेलू मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन) कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया से कांडला बंदरगाह पर डिलिवरी वाले सीपीओ (कीमत 890 डॉलर प्रति टन) आयात का खर्च 30.25 प्रतिशत का आयात शुल्क जोड़कर देश के बाजारों में 870 रुपये क्विन्टल बैठता है। इस आयात शुल्क के कम होने से वायदा कारोबार में जो आयातकों को ‘हेजिंग’ करने पर भाव 300 - 400 रुपये क्विन्टल बेपड़ता बैठता था वह अब एमसीएक्स के वायदा कारोबार में जनवरी अनुबंध का भाव लगभग 100 रुपये लाभ में है। मौजूदा स्थिति से अब आयातक फायदे में रहेंगे और हेजिंग करने में आसानी रहेगी और तेल आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं रह जायेगी।
हालांकि वैश्विक स्तर पर पाम तेल की मांग कमजोर है। देश में जाड़े के दिनों में पामतेल की मांग कमजोर होती है। ऊपर से आयात शुल्क घटने से सीपीओ सस्ता हुआ है। इसके अलावा मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट रहने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
वैश्विक स्तर पर ‘साफ्ट आयल’ की मांग बढ़ी है वहीं देश में जाड़े के मौसम में सरसों की मांग बढ़ती है। देश के किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास सरसों का सीमित स्टॉक बचा है। इस कारण नजफगढ़ मंडी में जो सरसों (लूज) पहले 5,600-5,700 रुपये क्विन्टल के भाव पर बिक रही थी वह बढ़कर 5,700-5,800 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। लेकिन जनवरी फरवरी की मांग बढ़ने के आसार को देखते हुए नाफेड को बहुत संभल कर आगे बिक्री करना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को तेल-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक ठोस नीति बनानी होगी। विदेशों पर निर्भरता कम करते हुए इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि किस तरह सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेलों के महंगे भाव की खाई को कम किया जाये तभी हम सही मायने में आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर बढ़ेंगे।
तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 6,200 - 6,250 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली दाना - 5,465- 5,515 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,000 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,160 - 2,220 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 12,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,875 - 2,025 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,995 - 2,105 रुपये प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,700 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,450 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम- 10,450 रुपये।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,200 रुपये।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,250 रुपये।
पामोलीन कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,600 - 4,650 लूज में 4,435 -- 4,465 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये।
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