निर्यातकों को 2,500 करोड़ रुपये दे मोदी सरकार, जीटीआरआई ने अमेरिका ने 50 प्रतिशत शुल्क लगाया और बाजार हाल खराब?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 30, 2025 14:39 IST2025-08-30T14:29:21+5:302025-08-30T14:39:20+5:30
निर्यातकों को 2,500 करोड़ रुपये आवंटित करने पर विचार करना चाहिए। एमएआई को चालू वित्त वर्ष में कोई धनराशि नहीं मिली है।

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नई दिल्लीः आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने शनिवार को निर्यात संवर्धन निधि में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को बाजार पहुंच पहल (एमएआई) के तहत वैश्विक प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए निर्यातकों को 2,500 करोड़ रुपये आवंटित करने पर विचार करना चाहिए। एमएआई को चालू वित्त वर्ष में कोई धनराशि नहीं मिली है।
जीटीआरआई ने कहा कि अप्रैल और अगस्त के बीच निर्यातकों ने विदेशी मेलों में भाग लेने के महत्वपूर्ण अवसर खो दिए हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ''पिछले वर्षों में, इस योजना का बजट केवल 250 करोड़ रुपये था, जो 440 अरब डॉलर से अधिक की निर्यात अर्थव्यवस्था के लिए बहुत कम था।''
उन्होंने कहा कि इसे सालाना 2,500 करोड़ रुपये के बढ़े हुए बजट के साथ फिर से शुरू किया जाना चाहिए। भारतीय फर्मों को वैश्विक मेलों में अच्छी जगह मिल सके, इसके लिए कोष को कम से कम एक साल पहले जारी किया जाना चाहिए।
उन्होंने अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के बीच निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्याज समानीकरण योजना (आईएस) को फिर से शुरू करने, निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम) और ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र को तुरंत शुरू करने का भी आह्वान किया। इसके अलावा, श्रीवास्तव ने सीमा शुल्क निकासी में तेजी लाने, निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट योजना के लाभों को निश्चित करने तथा अग्रिम प्राधिकरण योजना को सरल बनाने की सिफारिश की।
सरकार अमेरिकी शुल्क से निर्यातकों को बचाने के लिए लगातार काम कर रही: सीईए
केंद्र सरकार, अमेरिका के अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क से निर्यात क्षेत्रों को बचाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर लगातार काम कर रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन ने शनिवार को यह बात कही। अमेरिका ने 27 अगस्त से अपने यहां आने वाले भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगा दिया है।
नागेश्वरन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संकट चाहे छोटा हो या बड़ा, अक्सर उत्प्रेरक का काम करता है। इससे सरकार, निजी क्षेत्र और परिवार सहित समाज-व्यवस्था के सभी वर्ग जरूरी कार्रवाई करने के लिए सक्रिय होते हैं। उन्होंने कहा कि शुल्क लागू होने के बाद ''पिछले तीन-चार दिनों से विभिन्न निर्यात और प्रतिनिधि निकायों, निजी क्षेत्र की निर्यात संवर्धन एजेंसियों और मंत्रालयों के साथ बातचीत चल रही है।''
नागेश्वरन ने आईसीसी के एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि विभिन्न मंत्रालय और वित्त मंत्रालय एक रणनीति तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय तक काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कवायद का मुख्य लक्ष्य प्रभावित निर्यात क्षेत्रों और इकाइयों को वित्तीय सहायता के साथ ही अन्य सुविधाएं देना है।
इस सहायता से उन्हें मौजूदा संकट का सामना करने और इससे मजबूती के साथ उबरने में मदद मिलेगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि वह सरकार की योजना के बारे में अधिक जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं।