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मोदी सरकार के बजट पर विशेषज्ञों की रायः राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा यह लोक-लुभावन बजट

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 2, 2019 10:38 IST

रेटिंग एजेंसी मूडीज के विश्लेषकों के अनुसार सरकार को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

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ठळक मुद्देमध्यम आय वर्ग के लिए जो घोषणाएं की गई हैं उनसे 2019-20 में राजकोषीय घाटे पर दबाव रहेगाअंतरिम बजट में खर्च बढ़ाने के कदम उठाए गए हैं जबकि राजस्व बढ़ाने के उपाए नहीं किए गए है.

मुंबई, 2 फरवरी: केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को जो अंतरिम बजट पेश किया है उसे एक ओर जहां मतदाताओं को लुभाने वाला बता रहे हैं वहीं अर्थशास्त्रियों व विशेषज्ञों का कहना है कि यह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा. खासकर बजट में किसानों और मध्यम आय वर्ग के लिए जो घोषणाएं की गई हैं उनसे वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे पर दबाव रहेगा.

रेटिंग एजेंसी मूडीज के विश्लेषकों के अनुसार सरकार को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. विश्लेषकों का कहना है कि अंतरिम बजट में खर्च बढ़ाने के कदम उठाए गए हैं जबकि राजस्व बढ़ाने के उपाए नहीं किए गए है. ऐसे में सरकार के सामने लगातार 4 वर्ष तक राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा.

मूडीज के इन्वेस्टर्स सर्विस में एसोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर जीन फैंग ने कहा कि यह बजट राजकोषीय घाटे को कम करने के लिहाज से ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनावी साल में किसानों और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों के लिए खजाना खोलते हुए अतिरिक्त फंड का बंदोबस्त किया है. लेकिन अगले साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना और ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा. बॉक्स आयकर छूट की घोषणा राजकोषीय गणित की कीमत पर की जानकारों का यह भी कहना है कि आम चुनाव से पहले किसानों और मध्यम वर्ग को लुभाने के उपायों से उपभोग बढ़ेगा.

किसानों को 6,000 रु पए सालाना की न्यूनतम आय तथा आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रु पए करने की घोषणा राजकोषीय गणित की कीमत पर की गई है. यह भी कहा जा रहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लगातार चूक तथा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना आश्चर्यजनक तौर पर नकारात्मक है. इससे 2020-21 में राजकोषीय घाटे को कम कर तीन प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य पर सवाल खड़ा होता है.

न्यूनतम आय जैसे कदम उपभोग बढ़ाएंगे यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव के अनुसार आयकर छूट और गरीब किसानों को न्यूनतम आय जैसे कदम उपभोग बढ़ाने वाले हैं. राव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय मोर्चे पर मामूली चूक रहेगी. किसानों को राहत से राजकोषीय मजबूती की दिशा में भी कदम बाधित होगा, क्योंकि सरकार मतदाताओं को खुश करना चाहती है. वहीं डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के प्रमुख अर्थशास्त्री अरुण सिंह की माने तो किसानों और मध्यम आय वर्ग के लिए जो घोषणाएं की गई हैं उनसे 2019-20 में राजकोषीय घाटे पर दबाव रहेगा.

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