लक्ष्मी निवास मित्तलः राजस्थान के एक पिछड़े गांव से दुनिया के 'स्टील किंग' बनने की सक्सेस स्टोरी
By आदित्य द्विवेदी | Updated: June 15, 2018 07:20 IST2018-06-15T07:20:33+5:302018-06-15T07:20:33+5:30
अर्सेलर मित्तल दुनिया की सबसे बड़ी स्टील बनाने वाली कंपनी है। इसमें 60 देशों में कुल 2 लाख 60 हजार कर्मचारी काम करते हैं। लक्ष्मी मित्तल इसी कंपनी के सीईओ और चेयरमैन हैं।

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'स्टील किंग' लक्ष्मी निवास मित्तल आज अपने सपनों की जिंदगी जी रहे हैं। राजस्थान के एक छोटे से गांव से यूके के केन्सिंगटन पैलेस तक का सफर उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से तय किया है। फोर्ब्स के अमीरों की सूची में वो भारत में नंबर तीन हैं। आर्सेलर मित्तल कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है। लक्ष्मी मित्तल इसी कंपनी के चेयरमैन और सीईओ हैं। आज लक्ष्मी मित्तल का 68वां जन्मदिन है। आइए जानते हैं उनके सफरनामे के कुछ अनछुए पहलू...
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- लक्ष्मी मित्तल का जन्म 15 जून 1950 को सादुलपुर नाम के एक ऐसे गांव में हुआ था जहां 1960 तक बिजली भी नहीं पहुंची थी। अपने बचपन में वो जमीन पर दरी बिछाकर सोते थे क्योंकि एक छोटे से घर में 25 लोगों को रहना पड़ता था। बाद में उनके पिता कलकत्ता चले गए और एक छोटी सी स्टील मिल लगाई। स्कूल के बाद लक्ष्मी अपने पिता के काम में हाथ बँटाते थे।
- शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम से करने की वजह से कलकत्ता के सेंट जेवियर कॉलेज प्रशासन ने लक्ष्मी मित्तल का एडमिशन करने से मना कर दिया। बाद में किसी तरह उनका एडमिशन हुआ और उन्होंने कॉलेज टॉप किया और प्रथम श्रेणी में स्नातक पास करके खुद को साबित किया।
- स्नातक करने के बाद लक्ष्मी मित्तल ने अपने पिता की कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। ये 70 के दशक के शुरुआती दिनों की बात है। 1976 में भारत सरकार के प्रोत्साहन पर वो इंडोनेशिया गए और अपने पिता की मदद से 'इस्पात इंडो' नाम के स्टील प्लांट की स्थापना की।
- गुजरते वक्त के साथ लक्ष्मी मित्तल की ख्याति एक ऐसे व्यसायी की बन गई जो घाटे की कंपनी को खरीदकर मुनाफे में बदल देता है। 1989 में उन्होंने सरकारी आधिपत्य वाली फर्म 'ट्रिनिडाड एंड टोबैगो' खरीदी। उस वक्त यह कंपनी 1 मिलियन डॉलर का रोजाना घाटा कर रही थी। लक्ष्मी मित्तल ने इसे भी मुनाफे में बदल दिया।
- लक्ष्मी मित्तल ने खेलों के लिए भी खूब योगदान दिया है। उन्होंने मित्तल चैम्पियन ट्रंस्ट बनाया जो 10 भारतीय एथलीट की अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग में मदद करता है। ओलम्पिक में पहला गोल्ड मेडल जीतने पर उन्होंने 1.5 करोड़ की राशि पुरस्कार में दी थी।
- यूएसए की न्यू स्टील मैगजीन ने उन्हें 1996 में 'स्टील मेकर ऑफ द इयर' के टाइटल से नवाजा। 1998 में उन्हें आठवें विल्ली कॉर्फ स्टील विजन अवार्ड से नवाजा गया।
- दुनिया भर में स्टील प्लांट के साथ-साथ उन्होंने 2003 csx जयपुर में एक यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जिसका नाम है लक्ष्मी निवास मित्तल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी (LNMIIT)।
- फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक 2005 में वो दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स माने गए। 2007 में टाइम मैगजीन ने लक्ष्मी मित्तल को 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह दी। 2008 में फोर्ब्स ने उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा।
- लक्ष्मी मित्तल ने 2006 में आर्सेलर को खरीदने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त सीईओ गाय डोले ने 24 बिलियन डॉलर के ऑफर को मना कर दिया था। बाद में शेयर में गिरावट के बाद यह सौदा 33.5 बिलियन डॉलर में हुआ। आर्सेलर के सीईओ गाय डोले के जाने के बाद लक्ष्मी मित्तल इसके सीईओ और चेयरमैन की भूमिका निभा रहे हैं।
- अर्सेलर मित्तल दुनिया की सबसे बड़ी स्टील बनाने वाली कंपनी है। इसमें 60 देशों में कुल 2 लाख 60 हजार कर्मचारी काम करते हैं। लक्ष्मी मित्तल ने उषा मित्तल से शादी की। इनका बेटा आदित्य मित्तल और बेटी वनिशा मित्तल हैं।
- स्टील किंग होने के साथ-साथ लक्ष्मी मित्तल अपनी लैविश लाइफ स्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने अपने आवास 18-19 केन्सिंगटन पैलेस गार्डेंस को 128 मिलियन डॉलर में खरीदा था। घर के इंटीरियर के लिए उन्होंने वही संगमरमर इस्तेमाल किया है जो ताजमहल में हुआ था। इस वजह से मीडिया ने उनके आवास का नाम ताज मित्तल रख दिया।
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