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जेपी इंफ्राटेक: एनबीसीसी ने प्रस्ताव खारिज किए जाने पर उठाए सवाल, कानूनी कदम उठाने की धमकी दी

By भाषा | Updated: May 22, 2021 20:56 IST

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नयी दिल्ली 22 मई सरकारी कंपनी एनबीसीसी ने जेपी इंफ्राटेक दिवाला मामले में अपने प्रस्ताव को भी मतदान में शामिल किए जाने की मांग की है। कंपनी ने अपने संशोधित प्रस्ताव को ठुकराए जाने के दो दिन बाद अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया और कहा है कि उसकी बात नहीं सुनी गयी तो वह कानूनी कदम उठाएगी।

आईआरपी ने घोषित किया था कि निर्माण क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी के प्रस्ता को दिवाला संहिता के अनुरूप नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि एनबीसीसी कर्ज में डूबी जमीन-जायदाद क्षेत्र की कंपनी जेपी इंफ्राटेक को दिवाला प्रक्रिया के तहत अधिग्रहीत करने की होड़ में थी। उसका मुकाबला इसी क्षेत्र के सुरक्षा समूह से था।

एनबीसीसी ने आईआरपी को पत्र लिख कर कहा है कि उसका प्रस्ताव विधि सम्मत और वह अच्छी तरह जानती है कि उसे कानून के तहत क्या करना है तथा उसकी जिम्मेदारियां क्या हैं।

जेपी इंफ्राटेक की रिणदाता समिति ने दरअसल बीस मई को सुरक्षा समूह के प्रस्ताव पर अगले सप्ताह कर्जदाताओं के बीच मतदान प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है।

समिति ने एनबीसीसी के प्रस्ताव को दिवाला कानून के कुछ प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाए जाने का हवाले देकर खारिज कर दिया था। अधिग्रहण के लिए मतदान अगले सप्ताह सोमवार को शुरू होगा और गुरुवार तक चलेगा।

एनबीसीसी ने जेपी इंफ्राटेक के आईआरपी अनुज जैन को लिखे पत्र में रिणदाता समिति के निर्णय प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि उसकी बोली पर विचार नहीं किया गया तो वह उचित कानून मंच से संपर्क करेगा।

एनबीसीसी की बोली को कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के चौथे दौर में खारिज कर दिया गया था।

कंपनी ने कहा, ‘‘आईआरपी ने अपने अधिकारी क्षेत्र से बाहर जा कर यह निर्णय लिया है और उसने प्रस्ताव के प्रावधानों का गलत तरीके से समझा है।’’ कंपनी ने कहा है कि ...एनबीसीसी के प्रस्ताव को नियमों के अनुरूप नहीं करार दे कर आपने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित अपने क्षेत्राधिकार को पार कर लिया है।’’

एनबीसीसी के अनुसार आईआरपी का काम रिणदाता समिति की मदद करना है न कि यह तय करना कि प्रस्ताव कानून के नियमों के अनुरूप है या नहीं।

गौरतलब है कि जेपी इंफ्राटेक की ऋणदाता समिति ने एनबीसीसी की बोली को दिवाला कानून के कुछ प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाए जाने का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था।

इस वर्ष मार्च में उच्चतम न्यायालय ने जेपी इंफ्राटेक के लिये केवल एनबीसीसी और सुरक्षा समूह से बोलियां मंगाने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने 45 दिनों में समाधान प्रक्रिया पूरी करने का भी निर्देश दिया था। इस समयसीमा की अवधि हालांकि आठ मई को पूरी हो गया और जेपी ने इस संबंध में समय सीमा बढ़ाने को लेकर याचिका भी दायर की थी।

जेपी इंफ्राटेक अगस्त 2017 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले बैंक समूह के एक आवेदन को स्वीकार करने के बाद दिवाला प्रक्रिया में चली गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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