जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: एमएसएमई को कारगर तरीके से प्रदान की जाएं राहत व सुविधाएं

By भरत झुनझुनवाला | Published: August 13, 2020 04:44 PM2020-08-13T16:44:34+5:302020-08-13T16:44:34+5:30

देश के कोने-कोने में चुनौतियों का सामना कर रहे एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए सरकार के द्वारा मई 2020 में 3 लाख 70 हजार करोड़ रु। के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं।

Jayantilal Bhandari's blog: Relief and facilities provided to MSMEs effectively | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: एमएसएमई को कारगर तरीके से प्रदान की जाएं राहत व सुविधाएं

देश के कुल निर्यात में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है

Highlights6 अगस्त को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने कोविड-19 महामारी से एमएसएमई के लिए ऋणों के पुनर्गठन की बड़ी राहत दी है।इस योजना का लाभ 1 मार्च 2020 तक गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से बचे रहे ऐसे एमएसएमई को मिलेगा

यद्यपि देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) में नई जान फूंकने के लिए सरकार के द्वारा एक के बाद एक नई राहत और सुविधाओं की घोषणाएं की जा रही हैं, लेकिन अब यह जरूरी है कि सरकार के द्वारा क्रियान्वयन पर ध्यान देते हुए एमएसएमई की मुट्ठियों में नई राहत और सुविधाएं पहुंचाने के अधिकतम प्रयास किए जाएं।

हाल ही में 6 अगस्त को रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने कोविड-19 महामारी से एमएसएमई के लिए ऋणों के पुनर्गठन की बड़ी राहत दी है। इस योजना का लाभ 1 मार्च 2020 तक गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से बचे रहे ऐसे एमएसएमई को मिलेगा जो जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं और 25 करोड़ रुपए तक की ऋण की सीमा में हैं। एमएसएमई सेक्टर के ऋणों के पुनर्गठन की यह योजना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय एमएसएमई ऋण खातों के एनपीए में फंसने की आशंका काफी बढ़ गई है तथा एमएसएमई को आपूर्ति श्रृंखला और कारोबारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो रही विभिन्न रिपोर्टो में कहा जा रहा कि देश में निगेटिव विकास दर की चुनौती के बीच एमएसएमई को मजबूत बनाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है। ज्ञातव्य है कि देश में करीब 6.30 करोड़ से अधिक की विशाल संख्या वाला एमएसएमई सेक्टर है। देश के कुल निर्यात में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है और देश के जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 29 फीसदी का है। साथ ही एमएसएमई के तहत करीब 12 करोड़ लोग रोजगार से जुड़े हैं। 

अतएव इस समय एमएसएमई सेक्टर में नई जान फूंकने के लिए तीन अहम कदम तत्काल उठाए जाने जरूरी हैं। एक, एमएसएमई के लिए घोषित नई ऋण पुनर्गठन योजना तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित राहतों को एमएसएमई की मुट्ठियों में शीघ्रतापूर्वक कारगर तरीके से पहुंचाया जाए। दो, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गैर जरूरी उत्पादों पर उपयुक्त आयात प्रतिबंध लगाए जाएं। तीन, सरकार के द्वारा एमएसएमई के बकाया का भुगतान शीघ्र किए जाए।

गौरतलब है कि देश के कोने-कोने में चुनौतियों का सामना कर रहे एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए सरकार के द्वारा मई 2020 में 3 लाख 70 हजार करोड़ रु। के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं। जिनमें से इस क्षेत्न की इकाइयों को 3 लाख करोड़ रु। की आपातकालीन क्रे डिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसी कई राहतें शामिल हैं। लेकिन ऐसी राहतों के लिए उपयुक्त क्रि यान्वयन न होने के कारण एमएसएमई गंभीर चुनौतियों के दौर में से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं से भुगतान प्राप्त न होने से परेशान हैं। विभिन्न मुश्किलों के कारण लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी आधे से अधिक एमएसएमई इकाइयां उत्पादन शुरू नहीं कर पाई हैं। जिनमें काम शुरू हुआ है, वे भी काफी कम क्षमता के साथ परिचालन कर रही हैं।

यद्यपि सरकार ने एमएसएमई की इकाइयों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बैंकों के जरिये बगैर किसी जमानत के आसान ऋण सहित कई राहतों का पैकेज घोषित किया है, लेकिन अधिकांश बैंक ऋण डूबने की आशंका के मद्देनजर ऋण देने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक ईसीएलजीएस में से 3 अगस्त तक करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से करीब 92 हजार करोड़ रुपए का कर्ज वितरित किया जा चुका है। 

इस साल जनवरी से जून तक एमएसएमई को जारी कुल कर्ज मार्च 2020 की तुलना में जून 2020 में घट गया है। चूंकि देश में कार्यरत एमएसएमई में से करीब 99 फीसदी सूक्ष्म श्रेणी में हैं और उनमें से अधिकांश औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, अतएव उन्हें सरकारी राहतों के मिलने में कठिनाई आ रही है। ऐसे में एक ओर शीघ्रतापूर्वक ऐसी सुसंगत और सुसंगठित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिसके तहत सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों सहित सभी एमएसएमई को आर्थिक पैकेज का लाभ मिल सके।

हम उम्मीद करें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के द्वारा 6 अगस्त को एमएसएमई के लिए ऋणों के पुनर्गठन की राहत तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने एमएसएमई के लिए जो अभूतपूर्व घोषणाएं कीेगई हैं, उनका कारगर क्रियान्वयन एमएसएमई में नई जान फूंक सकेगा।

Web Title: Jayantilal Bhandari's blog: Relief and facilities provided to MSMEs effectively

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