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केजरीवाल की दिल्ली में विनिर्माण इकाइयों को लेकर की गयी घोषणा पर उद्योग जगत की मिली जुली प्रतिक्रिया

By भाषा | Updated: November 2, 2020 23:38 IST

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नयी दिल्ली, दो नवंबर दिल्ली सरकार के राजधानी में नए औद्योगिक क्षेत्रों में किसी भी तरह की विनिर्माण इकाइयों को अनुमति नहीं देने की घोषणा पर उद्योग जगत और संगठनों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने नए औद्योगिक क्षेत्रों में सिर्फ हाईटेक उद्योगों और सेवा उद्योगों को अनुमति देने की घोषणा की है।

एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार के इस कदम से राजधानी में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। यह रोजगार बढ़ाएगा और दिल्ली की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। इसके अलावा राजधानी को हाईटेक, सेवा उद्योग का केंद्र बनने में मदद करेगा। इसमें आईटी से जुड़ी सेवाएं, कॉल सेंटर, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र, मीडिया कार्यक्रम प्रोडक्शन हाउस इत्यादि को सस्ती दरों पर भूमि उपलब्ध करायी जाएगी।’’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मायापुरी उद्योग कल्याण संघ के महासचिव आर. के. गुप्ता ने कहा कि यह विनिर्माण उद्योग के लिए एक हताशा की तरह है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘ सरकार की प्राथमिकता माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह करना है और दिल्ली एक बड़ा बाजार है ऐसे में उस मोर्चे पर कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन यह व्यवस्था उद्योग अनुकूल नहीं है।’’

गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल ने मौजूदा विनिर्माण उद्योगों से भी खुद को हाईटेक या सेवा क्षेत्र में परिवर्तित होने के लिए कहा है। धीरे-धीरे यह इकाइयां भी दिल्ली छोड़ देंगी क्योंकि यह बहुत छोटे उद्योग हैं और उनके पास इतने बड़े बदलाव के लिए ज्यादा साधन नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यदि सरकार प्रदूषण को लेकर इतना ही गंभीर है तो उसे पहले झुग्गी-झोपड़ी का ध्यान करना चाहिए।’’

करावल नगर के व्यापारियों के संगठन से संबंध रखने वाले अशोक गुप्ता ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या से कड़े तरीके से निपटना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ हर कोई भीषण प्रदूषण की चपेट में है। इसमें कोई शक नहीं। विनिर्माण इकाइयां दिल्ली से बाहर काम कर सकती हैं इसमें कोई समस्या नहीं।’’

आम आदमी पार्टी में दिल्ली के व्यापार एवं उद्योग प्रकोष्ठ समन्वयक बृजेश गोयल ने कहा कि राजधानी में करीब साढ़े तीन लाख छोटी बड़ी विनिर्माण इकाइयां चल रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार के कदम से रोजगार और कर संग्रह बढ़ेगा। यह सेवा क्षेत्र को एक उद्योग के तौर पर पहचान देगा। पहले से मौजूद विनिर्माण इकाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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