ठेके, आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भारत प्रमुख देश के रूप में उभरा: समीक्षा
By भाषा | Updated: January 29, 2021 21:09 IST2021-01-29T21:09:26+5:302021-01-29T21:09:26+5:30

ठेके, आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भारत प्रमुख देश के रूप में उभरा: समीक्षा
नयी दिल्ली, 29 जनवरी आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत अस्थायी तौर पर या ठेके तथा ऐप और वेबसाइट के जरिये सेवा देने वाले कर्मचारियों (प्लेटफार्म वर्कर) के मामले में एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा है।
संसद में पेश 2020-21 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘लॉकडाउन के दौरान यह पाया गया कि अल्पकालीन अवधि के अनुबंध पर काम तथा संगठित क्षेत्र में घर से काम करने के मामले में वृद्धि हुई है।’’
इसमें कहा गया है कि प्रौद्योगिकी में बदलाव, नई आर्थिक गतिविधियां बढ़ो, संगठन ढांचे में नवप्रवर्तन के साथ काम की प्रकृति भी बदली है।
डिजिटल मंच रोजगार सृजन के लिहाज से काफी सार्थक सिद्ध हुए हैं और यहां बिचौलियों की अनुपस्थितियों की वजह से रोजगार के इच्छुक तथा रोजगार प्रदाता एक-दूसरे से आसानी से संपर्क कर सकते हैं।
पारंपरिक कारकों के अलावा इन नए कारकों से उपभोक्ता और सेवा प्रदात्ताओं के लिए जबरदस्त अवसर पैदा हुए हैं तथा वे नवान्मेषी तरीकों से आपस में संपर्क कर सकते है।
डिजिटल तकनीक ने दो पक्षीय बाजारों को पेश किया है जिसमें ई-कॉमर्स और ‘ऑनलाइन खुदरा मंच’ का उद्भव शामिल हैं। इनमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर, अर्बन क्लेप, जोमेटो आदि शामिल हैं।
समीक्षा में कहा गया है कि विश्व में भारत अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति (फ्लेक्सि स्टाफिंग) के मामले में प्रमुख देश के रूप में उभरा है।
लॉकडाउन के दौरान यह भी पाया गया कि नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिये घर से काम करने को तरजीह दे रहे हैं। वे कर्मचारियों की संख्या कम कर रह हैं और आउटसोर्सिंग या फ्रीलांस के आधार पर काम करने को तरजीह दे रहे हैं। इसका मकसद लागत में कमी लाने के साथ कुशल कामगारों की सेवा लेना है।
कोविड-19 महामारी का रोजगार पर पड़े प्रभाव के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि इसने ठेके पर काम करने वाले शहरी मजदूरों की नाजुक स्थिति को उजागर किया है। जनवरी-मार्च, 2020 के दौरान हुए पीएलएफएस (निश्चित अवधि पर होने वाले श्रम बल सर्वे) के अनुसार शहरी कार्यबल में ठेके पर काम करने वाले कामगारों की संख्या 11.2 प्रतिशत थी। इनमें से बड़ा हिस्सा प्रवासी मजदूरों का हैं जो ‘लॉकडाउन’ से सर्वाधिक प्रभावित हुआ है।
समीक्षा के अनुसार 2019 और 2020 श्रम सुधारों के मामले में महत्वपूर्ण साल रहा। बदलते श्रम बाजार की प्रवृत्ति के अनुसार इस दौरान करीब 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समाहित किया गया, युक्तिसंगत और सरल बनाया गया।
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