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भारत अर्थव्यवस्था को राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए प्रतिबद्ध: सीतारमण

By भाषा | Updated: October 15, 2021 23:05 IST

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, 15 अक्टूबर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कहा कि भारत सरकार ने 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को कम कर 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है और अर्थव्यवस्था को वित्तीय रूप से मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

सीतारमण ने अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय समिति को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को अतिरिक्त पूंजी प्रदान करने के लिए तैयार है और मुद्रास्फीति भी अपेक्षा से अधिक नीचे जा रही है।

वित्त मंत्री अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने वाशिंगटन आयी हैं।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में मदद करने के लिए निकट अवधि में एक उदार राजकोषीय रुख बनाए रखा जा रहा है और सरकार निकट-से-मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था को वित्तीय मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सीतारमण ने कहा, "केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को चालू वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत पर रखा गया है और यह 2025-26 तक कम होकर जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक हो जाएगा। अगले साल के बजट में मध्यम अवधि के वृहद आर्थिक अनुमान और संशोधित राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) शामिल होंगे।"

उन्होंने कहा कि राजकोषीय मजबूती की रणनीति के तहत राजस्व संग्रह महत्वपूर्ण तत्व होगा। ई-बिल व्यवस्था, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) ऑडिट, रिटर्न की कड़ाई से जांच और दरों को युक्तिसंगत बनाने से जीएसटी संग्रह बढ़ने का अनुमान है। कंपनी कर को युक्तिसंगत बनाये जाने से भी कर अनुपालन और संग्रह बढ़ने की संभावना है।

सीतारमण ने कहा कि विनिवेश और सरकारी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने की योजना (एनएमपी) से भी राजकोषीय मोर्चे पर मजबूती मिलेगी।

इसी बीच, वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो इवेला से मुलाकात की। यह मुलाकात दुनिया भर में कोविड-19 टीकों और दवाओं पर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रावधानों से अस्थायी छूट के भारत के प्रस्ताव के बीच हुई है।

सीतारमण और इवेला के बीच बैठक विश्व बैंक और आईएमएफ की वार्षिक बैठकों से इतर हुई।

यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत, दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर कोविड-19 टीकों और दवाओं पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की अस्थायी छूट पर जोर दे रहा है।

भारत ने जून में विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को महामारी से निपटने के लिए ट्रिप्स में अस्थायी छूट को लेकर नियमबद्ध तरीके से बातचीत शुरू करने का सुझाव दिया था।

बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलू (ट्रिप्स) पर समझौता जनवरी 1995 में प्रभाव में आया था। यह कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट और अघोषित जानकारी या व्यापार गोपनीयता की सुरक्षा जैसे बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों पर एक बहुपक्षीय समझौता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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