भारत में आने वाले समय में विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के लिये चार तरह के बैंक होंगे: दास

By भाषा | Updated: March 25, 2021 17:10 IST2021-03-25T17:10:35+5:302021-03-25T17:10:35+5:30

In the coming times, there will be four types of banks for the needs of different sectors: Das | भारत में आने वाले समय में विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के लिये चार तरह के बैंक होंगे: दास

भारत में आने वाले समय में विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के लिये चार तरह के बैंक होंगे: दास

मुंबई, 25 मार्च भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा दशक में भारत में प्रतिस्पर्धी, कुशल और विविध रूप वाले चार अलग तरह के बैंकों के उभरकर आने की उम्मीद है।

उन्होंने टाइम्स नेटवर्क इंडिया एकोनॉमिक समिट में कहा कि इसमें कुछ बड़े बैंक होंगे जो देश और दुनिया में फैले होंगे। दूसरा, अर्थव्यवस्था में व्यापक उपस्थिति वाले मध्यम आकार के बैंक होंगे। इसके अलावा लघु वित्त बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक होंगे जो छोटे कर्जदारों की जरूरतों को पूरा करेंगे। बैंक की एक अन्य श्रेणी डिजिटल सेवाएं देने वाली इकाइयों की होगी।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही आरबीआई ने सार्वभौमिक बैंक और लघु वित्त बैंक के लिये आवेदनों पर विचार को लेकर बैंक लाइसेंस पर पूर्व डिप्टी गवर्नर श्यामल गोपीनाथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। एक आंतरिक समिति ने हाल ही में बड़े औद्योगिक घरानों को बैंक क्षेत्र में आने की अनुमति देने की सिफारिश की है। हालांकि आरबीआई का विचार इससे उलट रहा है। इस संदर्भ में अभी अंतरिम निर्णय होना है।

दास ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक अधिक प्रतिस्पर्धी, कुशल और भिन्न बैंक संरचना की दिशा में काम कर रहा है। सार्वभौमिक बैंक, लघु वित्त बैंक (एसएफबी) के लिये लाइसेंस नीति इसी दिशा में उठाया गया कदम है।’’

उन्होंने कहा कि फिलहाल 10 छोटे एसएफबी और छह भुगतान बैंक काम कर रहे हैं।

दास ने कहा, ‘‘मेरा अनुमान है कि चालू दशक में अलग-अलग तरह के बैंक सामने आएंगे। इसमें से कुछ बड़े भारतीय बैंक होंगे जिनकी उपस्थिति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी।’’

दूसरा, अर्थव्यवस्था में व्यापक उपस्थिति वाले मध्यम आकार के बैंक होंगे। जबकि तीसरे प्रकार के बैंकों में छोटे निजी क्षेत्र के बैंक, एसएफबी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक होंगे जो छोटे कर्जदारों की जरूरतों को पूरा करेंगे।

उन्होंने कहा कि चौथी श्रेणी डिजिटल इकाइयों की होगी जो ग्राहकों को सीधे या बैंकों के जरिये उनके एजेंट या सहयोगी भागीदार के रूप में सेवाएं देंगी। सभी खंडों में इस प्रकार की इकाइयां महत्वपूर्ण इकाई के रूप में उभरेंगी।

दास ने यह भी कहा कि बैंकों की सेहत को बनाये रखना प्राथमिकता है। बैंक प्रणाली की मजबूती उनके पूंजी आधार पर निर्भर है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी संचालन और नैतिकता से प्रेरित अनुपालन संस्कृति पर भी हमारा जोर होगा।

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी ढांचागत सुविधाओं को उन्नत बनाना तथा ग्राहक सेवा में सुधार के साथ साइबर सुरक्षा उपाय अन्य मुद्दे हैं, जिसपर बैंकों को ध्यान देने की आवश्यकता है।

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