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ICICI-वीडियोकॉन लोन मामला: चंदा कोचर सहित तीन के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी, अब नहीं छोड़ पाएंगे देश

By स्वाति सिंह | Updated: April 7, 2018 09:07 IST

इससे पहले ही चंदा कोचर के देवर के खिलाफ सीबीआई पहले ही लुकआउट सर्कुलर जारी कर चुकी है।  फिलहाल, अभी तक सीबीआई की तरफ से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है।  

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नई दिल्ली, 7 अप्रैल: वीडियोकॉन ग्रुप के 3250 करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर सहित वीडियोकॉन के प्रमुख वेणुगोपाल धूत के खिलाफ देशभर के एयरपोर्ट्स पर लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है। इसका मतलब यह कि तीनों में कोई अब देश के बाहर नहीं जा सकता। इससे पहले ही चंदा कोचर के देवर के खिलाफ सीबीआई पहले ही लुकआउट सर्कुलर जारी कर चुकी है।  फिलहाल, अभी तक सीबीआई की तरफ से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है।ये भी पढ़ें-लोन मामला: सीबीडीटी और सीबीआई ने बैंक अफसरों से की पूछताछ

बता दें कि चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को आईसीआईसीआई बैंक से नियमों की अनदेखी करके लोन दिया गया था और उसके एवज में धूत ने दीपक कोचर की कंपनी में कई करोड़ों का निवेश किया था। सीबीआई के प्राथमिक जाँच में चंदा कोचर का नाम नहीं है। प्राथमिक जाँच में धूत, दीपक कोचर और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ जाँच की बात कही गयी। 

आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत को साल 2012 में 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। लोन मिलने के छह महीने बाद धूत की कंपनी ने आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी में कई करोड़ का निवेश किया। जिस कंपनी में निवेश किया गया उसके प्रमोटरों में चंदा कोचर के पति और दो अन्य रिश्तेदार प्रमोटर थे। वीडियोकॉन समूह को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले 20 बैंकों के कन्सॉर्शियम से 40 हजार करोड़ रुपये लोन मिले थे। ये भी पढ़ें:ICICI की CEO चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और अन्य के खिलाफ CBI करेगी प्राथमिक जाँच

धूत ने साल 2010 में नूपॉवर रिन्यूबेल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को 64 करोड़ रुपये दिए थे। इस कंपनी को धूत ने दीपक कोचर और कोचर के दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर बनाया था। आरोप है कि धूत ने कंपनी का मालिकाना हक़ छह महीने बाद महज नौ लाख रुपये में एक ट्रस्ट को स्थानांतरित कर दिया जो दीपक कोचर का है। वेणुगोपाल धूत ने भी दीपक कोचर की कंपनी में किसी तरह का निवेश करने के आरोप से इनकार किया है।

प्राथमिक जाँच में सीबीआई भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े प्रथम दृष्टया सामग्री की पड़ताल करके तय करती है कि सचमुच कोई अपराध या धोखाधड़ी हुई है या नहीं। अगर सीबीआई को लगता है कि मामले में अपराध होने की आशंका है तो वो एफआईआर दर्ज करके उसकी आगे जाँच करती है। अगर सीबीआई को आरम्भिक जाँच में कुछ संदिग्ध नहीं मिलता तो वो पीई को सीबीआई निदेश की अनुमति के बाद बंद कर देती है।

यह  मामला पहली बार तब सामने आया जब साल 2016 में एक शेयरधारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन सीबीआई निदेशक को पत्र लिखकर गड़बड़ी का आरोप लगाया था।

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