आईबीसी: कर्जदाता समिति के मुद्दों पर वित्त मंत्रालय, रिजर्वबैंक के संपर्क में कार्पोरेट मंत्रालय
By भाषा | Updated: August 27, 2021 19:39 IST2021-08-27T19:39:39+5:302021-08-27T19:39:39+5:30

आईबीसी: कर्जदाता समिति के मुद्दों पर वित्त मंत्रालय, रिजर्वबैंक के संपर्क में कार्पोरेट मंत्रालय
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि उनका मंत्रालय दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत रिणदाता समिति (सीओसी) के कार्य व्यवहार से जुड़े मुद्दे पर वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ काम कर रहा है। दिवाला और रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत एक समाधान योजना तय करने में कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो तनावग्रस्त संपत्तियों के समाधान के लिए बाजार से जुड़े ढांचे का प्रावधान करती है। कॉरपोरेट मामलों के सचिव राजेश वर्मा ने कहा, ‘‘हम सीओसी के संचालन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर आईबीए, आरबीआई और वित्तीय सेवा विभाग के साथ काम कर रहे हैं।’’ हालांकि, उन्होंने इस बारे में आगे विस्तार से नहीं बताया। वित्तीय सेवा विभाग वित्त मंत्रालय के तहत आता है। आईबीसी कानून के अमल में आने के पांच साल पूरे होने के मौके पर उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में वर्मा ने कहा कि यह फैसलों में यह माना गया है कि वाणिज्यिक मामलों का ज्ञान सीओसी के पास है, क्योंकि आईबीसी कर्जदाता मूल्य की खोज के लिए एक प्रतिस्पर्धी बाजार संचालित प्रक्रिया प्रदान करता है। उनके अनुसार आईबीबीआई विभिन्न संगोष्ठियों के जरिए सीओसी की क्षमता बढ़ाने और बाजार के मुद्दों पर काम कर रहा है। आईबीसी ढांचे के तहत भारतीय दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) प्रमुख घटक हैं। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया में मूल्यांकन, सीओसी का आचरण, दिवाला पेशेवर, एनसीएलटी में होने वाली देरी, समाधान के बाद कार्यान्वयन की कठिनाइयां जैसे मुद्दे और चुनौतियां सामने आती हैं। वर्मा ने कहा, ‘‘ ... इसके बावजूद रिणदाताओं को उनके कर्जदार कंपनियों के परिसमापन मूल्य के मुकाबले 180 प्रतिशत अधिक प्राप्ति हुई है। यह परिणाम सामने है।’’ उन्होंने कहा कि इसके तहत जिन कंपनियों का समाधान हुआ है उनमें 30 प्रतिशत से अधिक तो काम नहीं कर रही थीं।
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