GST reforms: इकोनॉमी को 2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, निर्मला सीतारमण ने कहा- 2017-18 में 7.19 लाख करोड़ से बढ़कर 2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपये
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 17, 2025 20:07 IST2025-09-17T20:04:02+5:302025-09-17T20:07:20+5:30
GST reforms: नई पीढ़ी की कर व्यवस्था, जिसमें केवल दो स्लैब (पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत) हैं, से अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपये आए हैं। लोगों के पास ज्यादा नकदी होगी।

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विशाखापत्तनमः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अगली पीढ़ी के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों ने अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपये डाले हैं, जिससे लोगों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हुई है। अन्यथा यह राशि कर चुकाने में चली जाती। अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर एक परिचर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कर सुधारों के बाद 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब के तहत आने वाली 99 प्रतिशत वस्तुओं पर पांच प्रतिशत कर लगाया गया है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप 28 प्रतिशत कर स्लैब के तहत 90 प्रतिशत वस्तुएं 18 प्रतिशत स्लैब में आ गई हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ रोजमर्रा के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली दिग्गज कंपनियों समेत कई कंपनियां 22 सितंबर से पहले ही दरों में कटौती करने और उपभोक्ताओं को इसका लाभ देने के लिए स्वेच्छा से आगे आ रही हैं। 22 सितंबर नई जीएसटी व्यवस्था लागू होने वाली है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस नई पीढ़ी की कर व्यवस्था, जिसमें केवल दो स्लैब (पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत) हैं, से अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपये आए हैं। लोगों के पास ज्यादा नकदी होगी।’’ उन्होंने कहा कि दरों में बदलाव करने से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पांच पहलुओं पर ध्यान रखा गरीब और मध्यम वर्ग के लिए दरों में कमी, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करना, किसान समुदाय को लाभ पहुंचाना, एमएसएमई को बढ़ावा देना और ऐसे क्षेत्र जो देश में रोजगार सृजन और निर्यात क्षमता में उपयोगी हों।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी राजस्व 2025 में बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो इसके लागू होने के समय वित्त वर्ष 2017-18 में 7.19 लाख करोड़ रुपये था। उनके अनुसार, करदाताओं की संख्या पहले के 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई है।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद सहकारी संघवाद का एक प्रमुख उदाहरण है और कहा कि यह स्वतंत्रता के बाद से गठित एकमात्र संवैधानिक निकाय है। पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने पहले के कर ढांचे को ‘कर आतंकवाद’ बताया और कहा कि एक राष्ट्र-एक कर के तहत जीएसटी को लागू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग सरकार 10 साल तक चली। आप जीएसटी नहीं ला सके। आप राज्यों को जीएसटी के बारे में समझा नहीं सके... मैं कठोर राजनीतिक जवाब दे सकती थी। लेकिन आज नहीं।’’ नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू होंगे। जीएसटी परिषद ने कर स्लैब को चार (5, 12, 18 और 28) से घटाकर केवल दो (5 और 18 प्रतिशत) कर दिया है।
व्यक्तिगत स्वास्थ्य, जीवन बीमा पॉलिसी मामले में कमीशन पर जीएसटी के लिए आईटीसी का लाभ नहीं
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मंगलवार को कहा कि बीमा कंपनियां 22 सितंबर से व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी के लिए कमीशन और ब्रोकरेज जैसे ‘इनपुट’ यानी कच्चे माल के लिए चुकाए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा नहीं कर पाएंगी।
सीबीआईसी ने 22 सितंबर से नए जीएसटी स्लैब लागू होने पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कराधान के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की सूची जारी की है। जीएसटी परिषद ने तीन सितंबर को अपनी बैठक में व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी पर चुकाए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का निर्णय लिया।
फिलहाल इस पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। छूट 22 सितंबर से प्रभावी होगी। इस सवाल के जवाब में कि बीमा कंपनियों की कौन सी ‘इनपुट’ सेवाएं जीएसटी से मुक्त हैं, सीबीआईसी ने कहा कि वर्तमान में, बीमा कंपनियां कमीशन, ब्रोकरेज और पुनर्बीमा जैसे कई इनपुट और इनपुट सेवाओं पर आईटीसी का लाभ उठा रही हैं।
सीबीआईसी ने कहा, ‘‘इन इनपुट सेवाओं में से, पुनर्बीमा सेवाओं को छूट दी जाएगी। अन्य कच्चे माल के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया जाएगा। इसका कारण अंतिम उत्पाद सेवाओं को जीएसटी छूट दी जा रही है।’’ इसका मतलब यह है कि व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी के मामले में कमीशन और ब्रोकरेज जैसे ‘इनपुट’ पर चुकाए गए कर, बीमा कंपनियों के लिए लागत होंगी, क्योंकि वे ऐसे करों को समायोजित नहीं कर पाएंगी।
सीबीआईसी ने यह भी स्पष्ट किया कि 7,500 रुपये प्रति कमरा प्रतिदिन से कम या उसके बराबर मूल्य वाली आवास इकाइयां प्रदान करने वाले होटल ऐसी इकाइयों पर आईटीसी का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसका कारण ऐसी आपूर्तियों पर आईटीसी के बिना पांच प्रतिशत जीएसटी दर लागू है।
इसी प्रकार, सौंदर्य और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बिना आईटीसी के पांच प्रतिशत की दर है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि ऐसे सेवा प्रदाता जो बिना आईटीसी वाली पांच प्रतिशत श्रेणी में आते हैं, उनके पास इन सेवाओं पर आईटीसी के साथ 18 प्रतिशत शुल्क लेने का विकल्प नहीं है।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) राहुल शेखर ने कहा, ‘‘सरकार चाहती है कि अंतिम ग्राहक को इन बदलावों का अधिकतम लाभ मिले, इसलिए उसने इन उद्योगों के लिए दोहरी दर संरचना की अनुमति नहीं दी है।’’ बार-बार पूछे जाने प्रश्नों की सूची के अनुसार, जो व्यवसाय बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के पांच प्रतिशत स्लैब में हैं, ट
वे ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के कच्चे माल पर चुकाए गए करों पर क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगे। उदाहरण के लिए, कोई होटल, जो कमरों के लिए पूरी तरह से प्रयुक्त प्रसाधन सामग्री या सुविधाएं खरीदता है, जिन पर पांच प्रतिशत की दर से आईटीसी नहीं ली जाती, तो वह उन खरीदों पर आईटीसी का लाभ नहीं उठा सकता।
सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ऐसी सेवाओं की आपूर्ति में विशेष रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर लगाए गए इनपुट टैक्स का क्रेडिट सेवा प्रदाता द्वारा नहीं लिया जाएगा।’’ हालांकि, ऐसे मामलों में जहां वस्तुओं या सेवाओं का उपयोग आंशिक रूप से बिना आईटीसी के पांच प्रतिशत कर योग्य आपूर्ति के लिए और आंशिक रूप से अन्य कर योग्य आपूर्ति (मान लीजिए, आईटीसी के साथ 18 प्रतिशत कर योग्य) के लिए किया जाता है, क्रेडिट को विभाजित किया जाना चाहिए।
सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ऐसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आंशिक रूप से और आंशिक रूप से अन्य कर योग्य आपूर्ति के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर लगाए गए इनपुट टैक्स का क्रेडिट सेवा प्रदाता द्वारा उसी प्रकार ‘रिवर्स’ किया जाएगा जैसे कि बिना आईटीसी के पांच प्रतिशत कर योग्य आपूर्ति एक छूट प्राप्त आपूर्ति है।
परिणामस्वरूप, सेवा प्रदाता द्वारा आनुपातिक आईटीसी को ‘रिवर्स’ करना आवश्यक होगा।’’ एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि जब जीएसटी कानून आईटीसी के बिना पांच प्रतिशत की रियायती दर निर्धारित करता है, तो यह प्रभावी रूप से इनपुट पर क्रेडिट से मना करता है। ऐसी आपूर्ति को छूट प्राप्त सेवाओं के बराबर मानता है।
मोहन ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना और अंतिम उपभोक्ताओं के लिए कर भार को कम करना है लेकिन इसके बदले में सेवा प्रदाताओं को आईटीसी से वंचित किया जाता है। इस प्रकार, जहां ग्राहकों को कम कर दरों का लाभ मिलता है, वहीं आपूर्तिकर्ताओं को अपनी इनपुट श्रृंखला में जीएसटी की अंतर्निहित लागत वहन करनी पड़ती है,
जिसके लिए सावधानीपूर्वक विभाजन और ‘रिवर्सल’ की आवश्यकता होती है।’’ व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा को दी गई छूट के दायरे में कौन सी बीमा सेवाएं शामिल हैं, इस प्रश्न पर, सीबीआईसी ने कहा कि समूह बीमा को छोड़कर, बीमाकर्ताओं द्वारा बीमित व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा कारोबार की सेवाएं छूट के दायरे में शामिल हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘जब ये सेवाएं किसी व्यक्ति या उसके/उसके परिवार को प्रदान की जाती हैं, तो उन्हें छूट दी जाएगी।’’ जीएसटी के तहत ईंटों पर कराधान के संबंध में, सीबीआईसी ने कहा कि तीन सितंबर, 2025 को हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में चूना पत्थर ईंटों को छोड़कर विशेष ‘कंपोजिशन’ योजना की दरों में किसी भी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई थी,
जिन पर कर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसलिए, चूना पत्थर (सैंड लाइम) ईंटों को छोड़कर, सभी प्रकार की ईंटों पर बिना आईटीसी के छह प्रतिशत और आईटीसी के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी बना रहेगा। इसकी पंजीकरण सीमा 20 लाख रुपये है।
आपूर्ति श्रृंखला में पहले से मौजूद दवाओं की पुनः लेबलिंग के संबंध में, सीबीआईसी ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के निर्देशों को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि दवाओं के एमआरपी में नई जीएसटी दरें प्रतिबिंबित होनी चाहिए, लेकिन यदि डीलर/खुदरा विक्रेताओं को संशोधित मूल्य सूची प्रदान करके अनुपालन सुनिश्चित किया जा सकता है, तो 22 सितंबर, 2025 से पहले जारी मौजूदा स्टॉक को वापस मंगाने या पुनः लेबल करने की आवश्यकता नहीं है,
शेखर ने कहा, ‘‘एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों) और खुदरा क्षेत्र की कंपनियों जैसे अन्य क्षेत्रों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ेगा। सरकार को अन्य क्षेत्रों के लिए भी स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए कि उत्पादों के एमआरपी में बदलाव किए बिना खुदरा विक्रेताओं, डीलरों के पास पहले से मौजूद स्टॉक पर अंतिम ग्राहक तक कम कीमत कैसे पहुंचाई जा सकती है।’’
जीएसटी युक्तिसंगत से हरित ऊर्जा को मिलेगी गति, 1.5 लाख करोड़ रुपये तक की हो सकती बचत
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाये जाने से देश में स्वच्छ ऊर्जा बदलाव को गति मिलेगी और लक्ष्य के मुताबिक 2030 तक 300 गीगावाट क्षमता और जोड़ने पर 1.5 लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है। यह भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को देखते हुए महत्वपूर्ण है।
31 अगस्त, 2025 तक बड़े जलविद्युत संयंत्रों को छोड़कर लगभग 193 गीगावाट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता थी। इसमें 123 गीगावाट सौर ऊर्जा और लगभग 53 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बयान में कहा कि भारत की 2030 तक लगभग 300 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की योजना है,
ऐसे में लागत में दो से तीन प्रतिशत की मामूली कमी से भी 1.0 से 1.5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। बयान के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में जीएसटी दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने से स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की लागत कम होगी। इससे बिजली अधिक किफायती होगी और घरों, किसानों, उद्योगों तथा परियोजनाएं विकसित करने वाली कंपनियों को सीधा लाभ होगा।
उदाहरण के लिए, ग्रिड से जुड़ी सौर परियोजना की पूंजीगत लागत आमतौर पर लगभग 3.5-4 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट होती है। अब इसमें 20 से 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट की बचत होगी। पांच सौ मेगावाट के सौर पार्क के पैमाने पर, परियोजना लागत में 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आएगी, जिससे शुल्क प्रतिस्पर्धा में उल्लेखनीय सुधार होगा।
जीएसटी में कमी से नवीकरणीय ऊर्जा शुल्कों में कमी आने की उम्मीद है। इससे वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली खरीद का वित्तीय बोझ कम होगा। इससे देश भर में बिजली खरीद लागत में सालाना 2,000-3,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। अंतिम उपभोक्ताओं को सस्ती स्वच्छ बिजली तक बेहतर पहुंच का लाभ मिलेगा, जिससे भारत के पर्यावरण अनुकूल बिजली क्षेत्र को बल मिलेगा।
यह सुधार घरों के लिए रूफटॉप यानी छतों पर लगने वाली सौर प्रणाली को और अधिक किफायती बनाएगा। एक सामान्य तीन किलोवाट रूफटॉप प्रणाली अब 9,000-10,500 रुपये सस्ती हो जाएगी, जिससे लाखों परिवारों के लिए सौर ऊर्जा अपनाना आसान हो जाएगा और पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के क्रियान्वयन में तेजी आएगी।
पीएम-कुसुम योजना के तहत किसानों को भी काफी लाभ होगा। लगभग 2.5 लाख रुपये की लागत वाला पांच एचपी का सौर पंप अब लगभग 17,500 रुपये सस्ता हो जाएगा। 10 लाख सौर पंपों के पैमाने पर, किसानों को सामूहिक रूप से 1,750 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिससे सिंचाई अधिक सस्ती और हरित हो जाएगी।
एमएनआरई ने कहा कि कम जीएसटी, मॉड्यूल और कलपुर्जों की लागत में तीन से चार प्रतिशत की कमी लाकर, देश में विनिर्मित नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाएगा और ‘मेक इन इंडिया’ तथा आत्मनिर्भर भारत पहलों को समर्थन प्रदान करेगा।
भारत ने 2030 तक 100 गीगावाट सौर विनिर्माण क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह सुधार घरेलू विनिर्माण केंद्रों में नए निवेश को प्रोत्साहित करेगा। चूंकि प्रत्येक गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) विनिर्माण लगभग 5,000 रोजगार सृजित करता है, यह सुधार अगले दशक में पांच से सात लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार को बढ़ावा दे सकता है,
जिससे भारत का स्वच्छ ऊर्जा औद्योगिक परिवेश मजबूत होगा। संशोधित जीएसटी दरें 22 सितंबर, 2025 से लागू होंगी। इस ऐतिहासिक निर्णय से लाखों उपभोक्ताओं, किसानों, कंपनियों और विनिर्माताओं को सीधा लाभ होगा। साथ ही यह हरित वृद्धि के साथ ऊर्जा स्वतंत्रता के दोहरे लक्ष्यों में भी योगदान देगा।