नई दिल्ली: भारत ने मोबाइल फोन विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस कदम का मकसद स्थानीय उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना है। वित्त मंत्रालय ने सेल्युलर मोबाइल फोन के लिए स्क्रू, सिम सॉकेट या फोन की इस्तेमाल होने वाली अंदरुनी वस्तुओं सहित कंपोनेंट्स के आयात पर शुल्क में कटौती संबंधी अधिसूचना 30 जनवरी को जारी की।
इनमें प्राइमरी लैंस, रियर कवर, रियर कवर और प्लास्टिक धातु के सहयोग से बनने वाले विभिन्न तकनीकी घटक शामिल हैं। असल में मंत्रालय विश्वव्यापी बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मक को देखते हुए यह कदम उठाया है। इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि यह भारत में मोबाइल विनिर्माण को प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप है।
इस क्षेत्र में कंपनियां भारत में स्मार्टफोन बनाने की लागत को कम करने और चीन और वियतनाम जैसे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए लगभग एक दर्जन घटकों में कटौती पर जोर दे रही हैं।
भारतीय सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने पहले कहा था कि अगर सरकार घटकों पर आयात शुल्क कम करती है और उन्हें कुछ श्रेणियों में समाप्त करती है। भारत से मोबाइल फोन निर्यात अगले 2 सालों में तीन गुना बढ़कर 39 अरब डॉलर हो सकती है, जो वित्त वर्ष 2013 में 11 अरब डॉलर था।
भारतीय मोबाइल उद्योग को वित्त वर्ष 2024 में लगभग 50 बिलियन डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन बनाने की उम्मीद है, जो अगले वित्तीय वर्ष में बढ़कर 55-60 बिलियन डॉलर होने की संभावना है। वित्त वर्ष 2024 में निर्यात बढ़कर लगभग 15 अरब डॉलर और फिर वित्त वर्ष 25 में 27 अरब डॉलर तक बढ़ने की संभावना है।
आईसीईए अधिकारी ने कहा, "इलेक्ट्रॉनिक 2024 में भारत का 5वां सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जो कुछ साल पहले 9वें स्थान पर था।" उन्होंने आगे कहा, "उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की बदौलत इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में 52 फीसदी से अधिक मोबाइल का योगदान है। यह पिछले 8 सालों के भीतर आयात से निर्यात आधारित विकास में योगदान देने वाला पहला उद्योग है।"