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‘'एनएआरसीएल को सरकारी गारंटी से प्रतिभूति रसीदों का द्वितीयक बाजार विकसित करने में मिलेगी मदद’

By भाषा | Updated: September 24, 2021 23:38 IST

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मुंबई, 24 सितंबर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि संकटग्रस्त ऋण संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी लि. (एनएआरसीएल) को 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी देने के सरकार के फैसले से प्रतिभूति रसीदों के लिए द्वितीयक बाजार के विकास में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने एनएआरसीएल द्वारा जारी प्रतिभूति रसीदों (एसआर) के लिए एक सॉवरेन गारंटी प्रदान करने का फैसला लिया।

खारा ने बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, "(एनएआरसीएल द्वारा जारी) प्रतिभूति रसीदों (एसआर) की गारंटी सरकार द्वारा दी जाएगी, जिससे वास्तव में इन एसआर को बहुत अधिक विश्वसनीयता मिलेगी और शायद इससे एसआर के लिए द्वितीयक बाजार का विकास होगा।"

एनएआरसीएल जिसे बैड बैंक भी कहा जा रहा है, खरीदे गये फंसे कर्ज के लिए सहमत मूल्य का 15 प्रतिशत नकद में भुगतान करेगा और बाकी 85 प्रतिशत सरकार की गारंटी वाली प्रतिभूति रसीद के तौर पर दी जायेगी। कर्ज पर तय मूल्य के मुकाबले नुकसान होने पर सरकार की गारंटी वाली रसीदों को भुनाया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि बैड बैंक न केवल बैड लोन (गैर निष्पादित आस्तियों) के संग्राहक के रूप में कार्य करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि बैंकिंग प्रणाली में मौजूद ऐसी सभी संपत्तियों को एक जगह लाया जा सके।

खारा ने कहा कि इससे गैर निष्पादित आस्तियों को जमा करने में लगने वाले समय को कम करने में और अंतर-ऋणदाता मुकदमों से बचने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के मामले में संभावित निवेशक को संपत्ति बेचना संभव नहीं है, लेकिन बैड बैंक के मामले में यह संभावना मौजूद है।

खारा ने बैंकों और संपत्ति गिरवी रखवाने वाले कर्जदाताओं द्वारा कर्जदारों को दी जाने वाली मौजूदा कम ब्याज दरों को लेकर कहा कि मूल्य संबंधी लड़ाई अनिश्चित काल तक जारी नहीं रहेगी और ग्राहकों को लुभाने के लिए कम दरों की पेशकश की जा रही है।

उन्होंने कहा, “इसलिए, मूल्य से जुड़ी प्रतिस्पर्धा एक निश्चित सीमा तक ही हो सकती है। इसके अलावा, यह कंपनी की सेवा (डिलीवरी) है जो मायने रखती है और पहुंच भी मायने रखती है जो किसी के लिए भी फैसला लेते समय काफी महत्व रखेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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