गो फर्स्ट की और बढ़ी मुश्किलें, कंपनी को लीज पर प्लेन देने वालों ने 20 एयरक्राफ्ट मांगे वापस
By विनीत कुमार | Published: May 5, 2023 07:02 AM2023-05-05T07:02:30+5:302023-05-05T07:22:35+5:30
गो फर्स्ट एयरलाइन से पट्टेदारों ने 20 एयरक्राफ्ट वापस मांगे है। इस संबंध में लीज पर विमान देने वालों ने डीजीसीए को लिखा है। इस बीच एयरलाइन कंपनी ने राहत हासिल करने के लिए एनसीएलटी में अपील की है।
नई दिल्ली: नकदी संकट से जूझ रही गो फर्स्ट एयरलाइन की मुश्किलें और बढ़ने वाली है। दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी गो फर्स्ट एयरलाइन को दरअसल एक और झटका लगा है। कंपनी को पट्टे पर प्लेन देने वालों ने अपने 20 एयरक्राफ्ट वापस मांगे हैं। सामने आई जानकारी के अनुसार पट्टे पर विमान देने वालों ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से इन्हें डिरजिस्टर करने को कहा है।
डीजीसीए ने पट्टे पर विमान देने वालों की मांग और उसकी डिटेल अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है। जानकारों के अनुसार नियमों के मुताबिक जब कोई पट्टेदार ऐसा अनुरोध करता है तो डीजीसीए को पांच कार्य दिवसों के अंदर विमान का पंजीकरण रद्द करना शुरू करना होता है।
गो फर्स्ट ने गुरुवार को अपनी सभी फ्लाइट्स के लिए 15 मई तक टिकट बुकिंग रोकने की घोषणा की थी। एयरलाइन द्वारा तीन मई से तीन दिन के लिए अपनी उड़ानें निलंबित करने के फैसले के बाद डीजीसीए ने गो फर्स्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
इन सबके बीच गो फर्स्ट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से कई अंतरिम निर्देश देने की अपील की है। गो फर्स्ट ने अपनी अपील में कहा है कि एनसीएलटी विमानों को पट्टे पर देने वालों को अपने विमान वापस लेने से रोके और साथ ही नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को किसी तरह की जबरिया कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दे। वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन पर 11,463 करोड़ रुपये की देनदारी है। कंपनी ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए आवेदन किया है।
गो फर्स्ट ने 17 साल से अधिक समय पहले उड़ान भरना शुरू किया था। एयरलाइन ने कहा है कि प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा इंजन आपूर्ति न करने के कारण उसके बेड़े के आधे से अधिक विमान खड़े हैं जिससे यह स्थिति पैदा हुई है।
एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है। इसमें 3,856 करोड़ रुपये की वह राशि भी शामिल है जो वह परिचालन ऋणदाताओं को चुकाने में चूकी है। विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया 2,600 करोड़ रुपये है।
(भाषा इनपुट)