Generic Veterinary Medicines: 3880 करोड़ रुपये होंगे खर्च?, सस्ती जेनरिक पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति को मंजूरी, जानें कैसे लाभ लेंगे किसान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 5, 2025 17:21 IST2025-03-05T17:20:59+5:302025-03-05T17:21:50+5:30
Generic Veterinary Medicines: एलएचडीसीपी के तहत वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए कुल 3,880 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी गई।

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Generic Veterinary Medicines: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 3,880 करोड़ रुपये के पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम में बदलाव को मंजूरी देकर किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं के वितरण का रास्ता साफ कर दिया। पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए संचालित केंद्र सरकार की एक योजना है। इस योजना का मकसद पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करना और पशुपालन को बढ़ावा देना है। एलएचडीसीपी के तहत वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए कुल 3,880 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी गई।
एलएचडीसीपी योजना में अब ‘पशु औषधि’ का एक नया हिस्सा जोड़ दिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य से संबंधित निर्णय लिया गया है। इस योजना के पशु औषधि प्रावधान के तहत उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।’’
वैष्णव ने कहा कि पशु औषधि, जन औषधि योजना के समान होगी। इसके तहत जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाएं पीएम किसान समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित की जाएंगी। वैष्णव ने कहा कि पशु चिकित्सा दवाओं के पारंपरिक ज्ञान को भी पुनर्जीवित किया जाएगा और योजना के हिस्से के रूप में इस पारंपरिक ज्ञान का भी दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने ‘पशु औषधि’ के प्रावधान के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति और बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए कुल बजट आवंटन से 75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस बदलाव के बाद अब एलएचडीसीपी के कुल तीन हिस्से हो गए हैं।
इनमें राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (एलएचएंडडीसी) और पशु औषधि शामिल हैं। पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम का ध्यान पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस और त्वचा में गांठें बनने वाली लम्पी स्किन डिजीज जैसी बीमारियों की टीकाकरण के माध्यम से रोकथाम पर केंद्रित है।
यह योजना पशुधन स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की पशुपालकों के घर तक आपूर्ति और जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता में सुधार का भी समर्थन करती है। वैष्णव ने कहा कि नौ राज्य खुरपका एवं मुंहपका रोग (एफएमडी) से मुक्त घोषित होने के लिए तैयार हैं। इन राज्यों में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़ा दूध उत्पादक भारत के एफएमडी से मुक्त होने और एक व्यवस्थित और अच्छी तरह से संचालित टीकाकरण कार्यक्रम चलने से दूध और दूध से बने उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी और किसानों की आय में सुधार होगा।