अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी, दूसरी तिमाही में जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी हुई, छह सालों में सबसे खराब

By भाषा | Published: November 29, 2019 09:59 PM2019-11-29T21:59:29+5:302019-11-29T21:59:29+5:30

GDP Growth: अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी है, जून-सितंबर तिमाही में जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी हुई, जो छह सालों में सबसे कम है

GDP Growth falls to 4.5% In September quarter, Worst In More Than 6 Years | अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी, दूसरी तिमाही में जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी हुई, छह सालों में सबसे खराब

जून-सितंबर तिमाही में जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी हुई

Highlightsभारत की जीडीपी दूसरी तिमाही में गिरकर 4.5 फीसदी हुईइस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ये 5 फीसदी रही थी

नई दिल्ली: सरकार के विभिन्न प्रयासों के बावजूद अर्थव्यवस्था नरमी के दलदल में फंसी हुई है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने और निजी निवेश कमजोर होने से आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी। यह आर्थिक वृद्धि का छह साल का न्यूनतम आंकड़ा है।

वहीं दूसरी तरफ आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत घटा। यह कम-से-कम 2005 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी। वहीं चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी। जीडीपी वृद्धि में गिरावट की बड़ी पजह विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन में 1 प्रतिशत की गिरावट का आना है।

वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है। उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी। यह लगातार छठी तिमाही तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है। वर्ष 2012 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार निवेश माहौल में सुधार लाने और जीडीपी वृद्धि को गति देने के लिये कंपनी कर में कटौती, रीयल एस्टेट के लिये अलग कोष, बैंकों के विलय और बड़े पैमाने पर निजीकरण जैसे सुधार के कदम उठा रही है लेकिन इसके बावजूद आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है।

इतना ही नहीं रिजर्व बैंक ने सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिये 2019 में अबतक पांच बार नीतिगत दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक अगले सपताह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकती है। कुछ सर्वे में व्यापार भरोसा के कई साल के न्यूनतम स्तर पर जाने की बात कही गयी है। छमाही आधार पर (अप्रैल-सितंबर 2019) में जीडीपी वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी अवधि में 7.5 प्रतिशत थी।

मनमोहन सिंह ने गिरती जीडीपी पर जताई चिंता

इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक सेमिनार ने कहा कि 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारे देश की वृद्धि दर की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत है। जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत चिंताजनक है। केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये अपने समाज के मौजूदा भय के माहौल को बदलकर भरोसे वाला बनाने की जरूरत है। अर्थव्यवस्था की स्थिति समाज की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है...।’’

जीडीपी आंकड़े के बारे में आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है और वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही से आर्थिक वृद्धि में तेजी की उम्मीद है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की अक्ट्रबर में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.1 प्रतिशत और 2020-21 में 7 प्रतिशत रह सकती है।

भारत पिछले साल तक तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था वाला देश था लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में संकट, गांवों में खर्च में कमी तथा वैश्विक नरमी के बाद वृद्धि दर घट रही है। एनबीएफसी छोटी कंपनियों और ग्राहकों को कर्ज देने के मामले में आगे रहे हैं।

डेलायट इंडिया के अर्थशास्त्री रूमि मजूमदार ने कहा कि कमजोर निजी घरेलू मांग और निर्यात के कारण वृद्धि दर नीचे आयी है। आर्थिक वृद्धि को समर्थन मुख्य रूप से सरकारी व्यय से मिला है जिसमें 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के सुनील सिन्हा ने कहा कि मुख्य रूप से खपत, व्यय और निर्यात वृद्धि में गिरावट के कारण नरमी आयी है। 

Web Title: GDP Growth falls to 4.5% In September quarter, Worst In More Than 6 Years

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