Share Market: FPI ने फरवरी के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार से 7,342 करोड़ निकाले, जानिए कारण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 9, 2025 12:33 IST2025-02-09T12:31:58+5:302025-02-09T12:33:13+5:30
Share Market:भारतीय इक्विटी बाजारों से एफपीआई का पलायन बेरोकटोक जारी रहा, क्योंकि वैश्विक व्यापार तनाव के कारण इस महीने के पहले सप्ताह में उन्होंने 7,300 करोड़ रुपये (लगभग 840 मिलियन) से अधिक की निकासी की

Share Market: FPI ने फरवरी के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार से 7,342 करोड़ निकाले, जानिए कारण
Share Market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजारों से निकासी का सिलसिला जारी है। अमेरिका द्वारा कनाडा, मेक्सिको और चीन जैसे देशों पर शुल्क लगाने की वजह से वैश्विक व्यापार को लेकर जो तनाव बना है उसके चलते विदेशी निवेशकों ने चालू महीने के पहले सप्ताह में स्थानीय शेयर बाजारों से 7,300 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।
इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर, 2024 में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि आगे चलकर बाजार की धारणा वैश्विक वृहद आर्थिक घटनाक्रमों, घरेलू नीतिगत उपायों और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी।
आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (सात फरवरी तक) अबतक भारतीय शेयरों से 7,342 करोड़ रुपये निकाले हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध-हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की निकासी का एक प्रमुख कारण वैश्विक व्यापार तनाव था, क्योंकि अमेरिका ने कनाडा, मेक्सिको और चीन जैसे देशों पर शुल्क लगाया है, जिससे व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि इस अनिश्चितता की वजह से वैश्विक निवेशकों ने जोखिम न उठाने का विकल्प चुना है। इसके चलते वे भारत जैसे उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय रुपया भी कमजोर होकर पहली बार 87 प्रति डॉलर से नीचे आ गया है। कमजोर रुपये से विदेशी निवेशकों का प्रतिफल घटता है और उनके लिए भारतीय संपत्तियां कम आकर्षक रह जाती हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘डॉलर इंडेक्स में मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड पर ऊंचा प्रतिफल एफपीआई को बिकवाली के लिए मजबूर कर रहा है। आगे चलकर एफपीआई की बिकवाली में कमी आने की उम्मीद है क्योंकि डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में अब नरमी का रुख दिख रहा है।’’
उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत लघु अवधि में सकारात्मक प्रभाव डालेगी। हालांकि, बाजार का मध्यम से दीर्घावधि का रुख आर्थिक वृद्धि और कंपनियों की आमदनी में सुधार पर निर्भर करेगा। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध लिवाल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने बॉन्ड में साधारण सीमा के तहत 1,215 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 277 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
उल्लेखनीय है कि एफपीआई ने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश किया था। इसकी तुलना में, 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।