स्टार्टअप कंपनियों की ‘फ्लिपिंग’ सुरक्षा के लिए खतरा : स्वदेशी जागरण मंच
By भाषा | Updated: September 26, 2021 12:25 IST2021-09-26T12:25:18+5:302021-09-26T12:25:18+5:30

स्टार्टअप कंपनियों की ‘फ्लिपिंग’ सुरक्षा के लिए खतरा : स्वदेशी जागरण मंच
नयी दिल्ली, 26 सितंबर स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने देश की कुछ जानी-मानी स्टार्टअप कंपनियों की ‘फ्लिपिंग’ (देश के बाहर पंजीकरण) के खिलाफ आगाह करते हुए कहा है कि इससे सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है। एसजेएम ने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी गंतव्य का चयन करने पर कोष के स्रोत की जांच नहीं हो सकती है। इससे भारतीय उपभोक्ताओं का महत्वपूर्ण ब्योरा विदेश में स्थानांतरित हो जाता है।
फ्लिपिंग से तात्पर्य ऐसे लेनदेन से है जिसमें किसी भारतीय कंपनियां द्वारा विदेश में फर्म का गठन किया जाता है। उसे भारत में अनुषंगी की होल्डिंग कंपनी बनाया जाता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाली यूनिकॉर्न द्वारा फ्लिपिंग से वे भारतीय नियामकीय निगरानी से बच सकती हैं। इससे देश को राजस्व का नुकसान होता है।
महाजन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भारत को इस बात का गर्व है कि उसकी स्टार्टअप कंपनियां काफी मूल्यांकन हासिल कर रही हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान दे रही हैं। लेकिन हमारी यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह सकती। देखने में आया है कि ये कंपनियां अब भारतीय नहीं रह गई हैं। ऊंचे मूल्यांकन वाली ज्यादातर स्टार्टअप कंपनियां ‘पलटी’ मार गई हैं और वे भारतीय नहीं रह गई हैं।’’
भारतीय कंपनियों के लिए पसंदीदा विदेशी गंतव्यों में सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं। महाजन ने पूरी प्रणाली...नीति से नियमनों में बदलाव की मांग की।
उन्होंने कहा कि हमें घरेलू कंपनियों से भेदभाव और विदेशी इकाइयों को आकर्षित करने की नीति को छोड़ना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को इस तरह की पलटी मारने से रोकने को हमें कुछ सख्त उपाय करने होंगे। इनमें एक उपाय फ्लिप करने वाली कंपनियों को विदेशी घोषित करना भी है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कंपनियों का बेहतरीन उदाहरण ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट है। इस घरेलू कंपनी के प्रवर्तकों ने भारत से बाहर जाकर सिंगापुर में अपनी कंपनी और अन्य सहयोगी इकाइयों को पंजीकृत कराया। बाद में इन कंपनियों को वॉलमार्ट को बेच दिया गया। इससे भारतीय खुदरा बाजार की हिस्सेदारी विदेशी कंपनी को स्थानांतरित हो गई।
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