पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाणपत्र देने को चेहरा पहचानने वाली तकनीक का इस्तेमाल होगा
By भाषा | Published: November 29, 2021 07:15 PM2021-11-29T19:15:25+5:302021-11-29T19:15:25+5:30
नयी दिल्ली, 29 नवंबर सरकार ने पेंशनभोगियों के लिए ‘जीवन प्रमाणपत्र’ के एक प्रमाण के रूप में चेहरा पहचानने वाली ‘विशिष्ट’ तकनीक को सोमवार को पेश किया।
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यह खास तकनीक पेश करते हुए कहा कि इससे सेवानिवृत्त एवं बुजुर्ग पेंशनभोगियों को काफी सहूलियत होगी। चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की मदद से पेंशनधारकों के जीवित होने की पुष्टि की जा सकेगी।
दरअसल, सभी पेंशनधारकों को साल के अंत में अपने जीवित होने का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है। इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही उन्हें आगे पेंशन जारी रखी जाती है।
सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार पेंशनभोगियों की जरूरतों को लेकर संवेदनशील रही है और उनकी जिंदगी को सुगम बनाने की कोशिश करती रही है। वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद सरकार ने पेंशनधारकों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की सुविधा शुरू की थी। अब चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक से उन्हें और भी मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा कि जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की शुरुआत एक ऐतिहासिक एवं दूरगामी सुधार है। इससे न केवल केंद्र सरकार के 68 लाख पेंशनभोगी बल्कि ईपीएफओ एवं राज्य सरकारों से पेंशन पाने वाले लोग भी लाभान्वित होंगे।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, इस मौके पर राज्यमंत्री ने इस तकनीक को सामने लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ ही विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को धन्यवाद दिया।
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