Economic Survey Budget 2024 Live: पीएलआई योजना में 67690 करोड़ का निवेश, 28884 नौकरियों का सृजन, जानें आर्थिक समीक्षा 2023-24 की 21 मुख्य बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 22, 2024 14:49 IST2024-07-22T14:47:43+5:302024-07-22T14:49:16+5:30
Economic Survey Budget 2024 Live: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2023-24 पेश की। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और उनके दल ने लिखा है।

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Economic Survey Budget 2024 Live: वाहन और वाहन कलपुर्जों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत अबतक 67,690 करोड़ रुपये का प्रस्तावित निवेश मिला है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि मार्च, 2024 के अंत तक इसमें कुल 14,043 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया गया है। आर्थिक समीक्षा कहती है कि आवेदकों ने 1.48 लाख रोजगार सृजन का प्रस्ताव किया है। 31 मार्च, 2024 तक इसमें से 28,884 नौकरियों का सृजन हो चुका है।
अभी तक इस योजना के तहत 85 आवेदकों को मंजूरी मिली है। वाहन और वाहन कलपुर्जों के लिए पीएलआई योजना का बजटीय परिव्यय योजना 2022-23 से 2026-27 तक 25,938 करोड़ रुपये है। इस योजना को ‘चैंपियन ओईएम’ प्रोत्साहन योजना और कलपुर्जा चैंपियन प्रोत्साहन योजना में बांटा गया है। इसके अलावा, सरकार ने मई, 2021 में 18,100 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ अत्याधुनिक रसायन सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम को मंजूरी दी है।
आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
* वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत रहने का अनुमान, जबकि 2023-24 में यह 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार का अभूतपूर्व तीसरा लोकप्रिय जनादेश राजनीतिक तथा नीतिगत निरंतरता का संकेत देता है।
* अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू स्तर पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले तत्वों ने आर्थिक वृद्धि को सहारा दिया।
* भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में उसकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है।
* वैश्विक महामारी के प्रभावों से पूरी तरह निकलने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी।
* व्यापार, निवेश तथा जलवायु जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाना असाधारण रूप से कठिन हो गया है।
* अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है, लेकिन भारत को दलहनों में लगातार कमी और परिणामस्वरूप मूल्य दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
* मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है।
* गरीब तथा निम्न आय वाले उपभोक्ताओं के लिए उच्च खाद्य कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या उचित अवधि के लिए वैध निर्दिष्ट खरीद के वास्ते ‘कूपन’ के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।
* यह पता लगाने के तरीके सुझाए गए हैं कि क्या भारत के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को खाद्य वस्तुओं को छोड़कर मुद्रास्फीति दर को लक्षित करना चाहिए।
* भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि तथा इसका प्रभाव आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है।
* भारत के वित्तीय क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल है।
* चूंकि वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए।
* बेहतर कॉरपोरेट और बैंकों के बही-खाते से निजी निवेश को और मजबूती मिलेगी।
* भारत की नीतियां चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपट पाई, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की गई।
* कर अनुपालन लाभ, व्यय संयम और डिजिटलीकरण ने भारत को सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल करने में मदद की।
* भारत की वृद्धि गाथा में पूंजी बाजार प्रमुख बन रहा है; बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक, आर्थिक झटकों से निपटने में समक्ष बना हुआ है।
* कृत्रिम मेधा (एआई) के सभी कौशल स्तर के श्रमिकों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर काफी अनिश्चितता।
* चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
* देश में 54 प्रतिशत रोग अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होते हैं; संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत।
* देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ। 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान।