e-Rupee Voucher: ई-रूपी वाउचर की लिमिट बढ़ी, जानिए क्या है और कैसे करता है काम
By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 10, 2022 15:18 IST2022-02-10T15:16:02+5:302022-02-10T15:18:52+5:30
e-Rupee Voucher: भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा विकसित ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर को अगस्त 2021 में पेश किया गया था।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा जारी करते हुए कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुधार का आधार अभी व्यापक होना बाकी है, क्योंकि निजी खपत और संपर्क आधारित सेवाएं (होटल, पर्यटन आदि) महामारी के पहले के स्तर से नीचे हैं। (file photo)
e-Rupee Voucher: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर की सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया। साथ ही लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के डिजिटल वितरण की सुविधा के लिए इसके कई बार उपयोग की इजाजत दी।
अगस्त 2021 में पेश किया गयाः भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा विकसित ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर को अगस्त 2021 में पेश किया गया था। तब इसे एक खास व्यक्ति और खास मकसद के लिए 10,000 रुपये के ‘कैशलेस वाउचर’ के रूप में जारी किया गया था। इसे सिर्फ एक बार भुनाने की सुविधा थी।
कई बार उपयोग की अनुमतिः आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के डिजिटल वितरण की सुविधा देने के लिए सरकारों द्वारा जारी किए गए ई-रूपी वाउचर की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपये प्रति वाउचर करने और ई-रूपी वाउचर के कई बार उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव है।’’
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावाः दास ने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों द्वारा अन्य उपयोग के मामलों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई में ई-रूपी की पेशकश की थी, और कहा था कि वाउचर-आधारित प्रणाली देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
पैसे लभार्थियों के एकाउंट मेंः डिजिटल लेनदेन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार अपनी सभी स्कीम के तहत पैसे लभार्थियों के एकाउंट में डाल देती है। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने तैयार किया है। इसमें कई मंत्रालय का भी सहयोग है।
इंटरनेट की जरूरत नहींः डिजिटल वाउचर एक क्यूआर कोड या एसएमएस आधारित ई-वाउचर है। इसे लाभार्थियों के मोबाइल पर भेज दिया जाता है। एक बार कोड मिल जानें के बाद पैसा पहुंच जाता है। उपभोक्ता को इस वाउचर को रिडिम करने के लिए किसी कार्ड, डिजिटल पेंमेंट या इंटरनेट की जरूरत नहीं है।
गांव के लोगों के लिए फायदाः गांव के लोगों के लिए फायदे सबसे अधिक है। एनपीसीआई ने 11 बैकों के साथ समझौता किया है। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक शामिल हैं।


