विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख से स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में भाव टूटे

By भाषा | Updated: July 6, 2021 19:53 IST2021-07-06T19:53:21+5:302021-07-06T19:53:21+5:30

Due to the declining trend in foreign markets, prices broke in the local oil-oilseeds market | विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख से स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में भाव टूटे

विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख से स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में भाव टूटे

नयी दिल्ली, छह जुलाई ऊंचे भाव पर मांग कमजोर होने से विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के कारण स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों के अनुसार मलेशिया एक्सचेंज में 0.7 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में चार प्रतिशत की गिरावट रही। इसका असर स्थानीय कारोबार पर हुआ और लगभग सभी तेल-तिलहनों में हानि दर्ज हुई।

उन्होंने कहा कि देश में खाद्य तेलों की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कमी की गई है और पामोलीन के आयात पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन इस कमी के बाद विदेशों में तेलों के भाव कमी के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ा दिये गये जिससे आयात और महंगा हो गया। ऊंचे भाव पर मांग कमजोर होने से विदेशों में आई गिरावट के कारण देश के तमाम तेल-तिलहनों के भाव हानि का रुख लिए बंद हुए।

तेल उद्योग के प्रमुख संगठन, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी सोमवार को सरकार को पत्र लिखकर सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित करने की मांग की है। एसईए ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से घरेलू रिफाइनिंग कंपनियां बर्बाद हो जायेंगी और स्थानीय तिलहन उत्पादक किसानों को भी भारी नुकसान होगा।

उन्होंने कहा कि विदेशों बाजारों में कच्चे पाम तेल के मुकाबले पामोलीन के निर्यात पर जोर दिया जा रहा है और उसके निर्यात शुल्क को सीपीओ से कहीं ज्यादा कम कर दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि मलेशिया जैसा छोटा सा देश अपने तेल उद्योग के हितों को ध्यान में रखकर कोई कदम उठाता है और भारत को भी यदि तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है तो उसे अपने घरेलू तेल-तिलहन उद्योग के हितों को ध्यान में रखकर फैसले लेने होंगे।

सूत्रों ने कहा कि साफ्टा समझौते के तहत नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते खाद्य तेलों का भारी मात्रा में शुल्क मुक्त आयात पहले ही चिंता का कारण था लेकिन पामोलीन पर प्रतिबंध समाप्ति के बाद उक्त देशों के रास्ते पामोलीन का आयात भी काफी बढ़ेगा जो हमारी स्थानीय रिफाइनिंग कंपनियों के लिए घातक साबित होगा जो पहले से ही पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,325 - 7,375 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,595 - 5,740 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,900 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,135 - 2,265 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,330 -2,380 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,430 - 2,540 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,200 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,900 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,750 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,500 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,400 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,450 रुपये।

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