आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद रुपया चालू वित्त वर्ष में 4 प्रतिशत मजबूत

By भाषा | Updated: March 29, 2021 15:30 IST2021-03-29T15:30:46+5:302021-03-29T15:30:46+5:30

Despite the challenges on the economic front, the rupee strengthened 4 percent in the current financial year | आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद रुपया चालू वित्त वर्ष में 4 प्रतिशत मजबूत

आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद रुपया चालू वित्त वर्ष में 4 प्रतिशत मजबूत

मुंबई, 29 मार्च अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया चालू वित्त वर्ष में अबतक 4 प्रतिशत से अधिक मजबूत हुआ है। विदेशी पूंजी प्रवाह सतत रूप से जारी रहने तथा आरबीआई की सोच-विचार कर लायी गयी नीतियों से आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों के बावजूद भारतीय मुद्रा के लिये 2020-21 मजबूत वर्ष सुनिश्चित हुआ है। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

विशेषज्ञों के अनुसार रुपया 2021-22 में औसतन 73.50 से 74 रह सकता है। इसका कारण टीका आने के बाद भी कोरोना वायरस को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं और इसका असर विदेशी विनिमय बाजार पर देखने को मिल सकता है।

वित्त वर्ष 2020-21 रुपये के लिये उतार-चढ़ाव भरा साल रहा। इक्विटी बाजार में महामारी के कारण व्यापक स्तर पर बिकवाली से रुपया एक समय 76.90 तक चला गया था।

हालांकि टीका आने से उम्मीद बढ़ने, लॉकडाउन पाबंदियों में ढील, सरकारों और केंद्रीय बैंकों द्वारा दुनिया भर में प्रोत्साहन उपायों से निवेशकों में एक भरोसा पैदा हुआ और रुपया 72 के स्तर पर आ गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के उप-प्रमुख (खुदरा शोध) देवर्ष वकील ने कहा, ‘‘आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों तथा राजकोषीय घाटा अधिक होने के बावजूद, रिजर्व बैंक की सोच-विचार कर लायी गयी नीतियों से इस साल सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल निम्न रहा तथा विदेशी मुद्रा भंडार उल्लेखनीय रूप से बढ़ा।’’

उन्होंने कहा कि अमेरिका के मुकाबले अधिक ब्याज दर और मुद्रस्फीति के बावजूद 2020-21 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 4 प्रतिशत मजबूत हुआ।

विशेषज्ञों के अनुसार देश के सूचीबद्ध शेयरों में लगातार पूंजी प्रवाह बने रहने से भारतीय मुद्रा के लिये एक मजबूत वर्ष सुनिश्चित हुआ है।

चालू वित्त वर्ष में विदेशी निवेशकों ने 35.22 अरब डॉलर की पूंजी लगायी। यह 2014-15 के बाद सर्वाधिक है। भारत ने 2020-21 के पहले नौ महीनों में 67.54 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया जो अबतक का सर्वाधिक है।

रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने कहा, ‘‘रुपये में उतार-चढ़ाव कोई अचंभित करने वाला नहीं है क्योंकि रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के जरिये और विदेशी विनिमय बाजार में जरूरी हस्तक्षेप कर रुपये को जरूरी समर्थन दिया।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा रुपये को घरेलू शेयर बाजार में लगातार पूंजी प्रवाह से भी समर्थन मिला।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और दुनिया के दूसरे देशों में कोविड-19 के बढ़ते मामले रुपये के लिये प्रमुख चिंता का विषय है। लेकिन इसके साथ रुपये की प्रवृत्ति ‘टैपर टैन्ट्रम’ (2013 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अचानक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद घटाने की बात शुरू किए जाने) से उत्पन्न स्थिति से तय होगी।

गुप्ता ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर और अमेरिकी में कर वृद्धि बड़ी चुनौती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दर नहीं बढ़ाएगा लेकिन साल के अंत तक बांड खरीद कार्यक्रम को धीमा कर सकता है...इससे भारत समेत उभरते बाजारों की मुद्राओं पर कुछ असर देखने को मिल सकता है।

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Web Title: Despite the challenges on the economic front, the rupee strengthened 4 percent in the current financial year

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