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Delhi Assembly Elections 2025: महिला मतदाताओं को रिझाने की होड़?, आप ने कहा- 2100 देंगे तो कांग्रेस-भाजपा ने 2500 रुपये देने का किया वादा, कई राज्य में 'कैश ट्रांसफर स्कीम'...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 11, 2025 16:06 IST

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय द्वारा छह जनवरी को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1,55,24,858 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 83,49,645 पुरुष और 71,73,952 महिला मतदाता हैं।

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ठळक मुद्देमहिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये देने का वादा किया है।लगभग 70 प्रतिशत (लगभग 3.4 लाख) महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं।दक्षिण दिल्ली की एक युवा पेशेवर प्रिया शर्मा ने एक अलग दृष्टिकोण व्यक्त किया।

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सभी प्रमुख राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को नकद अंतरण के वादे करके लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता योजनाओं का वादा किया है। दिल्ली में 46.2 प्रतिशत महिला मतदाता हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय द्वारा छह जनवरी को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1,55,24,858 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 83,49,645 पुरुष और 71,73,952 महिला मतदाता हैं।

महिला मतदाताओं को लुभाने और आम आदमी पार्टी (आप) के कल्याण-केंद्रित अभियान के जवाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महिलाओं के लिए प्रति माह 2,500 रुपये की सहायता देने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये देने का वादा किया है।

कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं है और उसने 'प्यारी दीदी योजना' पेश की है, जिसके तहत उसने दिल्ली में सत्ता में आने पर महिलाओं को 2,500 रुपये मासिक देने का वादा किया है। इन घोषणाओं का मतदाता पंजीकरण की गतिशीलता पर प्रभाव देखने को मिला है। 16 दिसंबर से छह जनवरी के बीच, दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय को नये मतदाता पंजीकरण के लिए अभूतपूर्व 5.1 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत (लगभग 3.4 लाख) महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं।

मासिक वित्तीय सहायता के वादे पर दिल्ली में महिला मतदाताओं की मिश्रित प्रतिक्रिया हैं, जो विविध आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं। जहां कई इन योजनाओं को एक स्वागत योग्य राहत के रूप में देखती हैं, वहीं अन्य उनकी स्थिरता और दीर्घकालिक प्रभाव पर सवाल उठाती हैं।

पूर्वी दिल्ली की एक गृहिणी निशा वर्मा ने कहा, ‘‘2,500 रुपये प्रतिमाह भले ही बहुत ज्यादा नहीं लगे, लेकिन इससे मैं अपने बच्चों के लिए अतिरिक्त किताबें खरीद सकती हूं या आपात स्थिति के लिए थोड़ी बचत कर सकती हूं। ये योजनाएं मददगार हैं, लेकिन मैं यह भी सोचती हूं कि क्या ये सिर्फ चुनावी वादे हैं जो पूरे नहीं हो सकते।’’

दक्षिण दिल्ली की एक युवा पेशेवर प्रिया शर्मा ने एक अलग दृष्टिकोण व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करने की सराहना करती हूं, लेकिन मैं ऐसी योजनाएं चाहती हूं जो महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करें या सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार करें। मासिक नकद सहायता से अस्थायी मदद मिल सकती है, लेकिन वे बड़ी समस्याओं का समाधान नहीं करती हैं।’’

रोहिणी की एक वरिष्ठ नागरिक गीता देवी ने वित्तीय स्वतंत्रता के लिए ऐसी योजनाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी जैसी महिलाओं के लिए जिनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, ये योजनाएं थोड़ी वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान कर सकती हैं। लेकिन मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार इन भुगतानों को वित्तपोषित करने के लिए सब्सिडी वाले भोजन जैसे अन्य लाभों में कटौती नहीं करेगी।’’

इन प्रतिक्रिया महिला मतदाताओं के सूक्ष्म विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं तथा इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता मूल्यवान हैं, लेकिन फिर भी व्यापक प्रणालीगत सुधार एक प्रमुख मांग बनी हुई है।

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