Coronavirus: लॉकडाउन के बीच यात्रियों का पैसा फंसा, 8 हजार करोड़ वापस नहीं दे रहीं एयरलाइंस

By मनाली रस्तोगी | Published: April 15, 2020 01:25 PM2020-04-15T13:25:21+5:302020-04-15T13:25:21+5:30

कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है, जिसकी वजह से कई एयरलाइंस 3 मई तक रोक दी गई हैं। ऐसे में अब विमानन कंपनियां यात्रियों पूरा पैसा रिफंड करने के बजाए क्रेडिट शेल देने की बात कर रही हैं।

Coronavirus Lockdown: Airlines not giving back 8 thousand crores of customers | Coronavirus: लॉकडाउन के बीच यात्रियों का पैसा फंसा, 8 हजार करोड़ वापस नहीं दे रहीं एयरलाइंस

कई एयरलाइंस ने 14 अप्रैल के बाद के टिकट बुक कर लिए थे! (फाइल फोटो)

Highlights3 मई तक हुए लॉकडाउन के कारण एक बार फिर विमानन कंपनियों की उड़ानों पर रोक लग गई है।एयरलाइंस ने 14 अप्रैल के ​बाद के टिकट बुक करने शुरू कर दिए थे, लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के बाद वो ग्राहकों को पैसा लौटने के मूड में नहीं हैं।

नई दिल्ली:कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते प्रकोप की वजह से देश में लॉकडाउन दूसरे चरण में पहुंच चुका है, जिसके तहत अब जो नागरिक जहां है, उसे 3 मई तक वहीं रहना होगा। ऐसे में 3 मई तक हुए लॉकडाउन के कारण एक बार फिर विमानन कंपनियों की उड़ानों पर रोक लग गई है। अधिकांश एयरलाइंस ने 14 अप्रैल के ​बाद के टिकट बुक करने शुरू कर दिए थे, लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के बाद वो ग्राहकों को पैसा लौटने के मूड में नहीं हैं।

एयरलाइंस द्वारा पैसा न लौटने की वजह से अब ग्राहक एजेंटों से खूब किचकिच कर रहे हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (14 अप्रैल) को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान देशवासियों को जानकरी दी थी कि देश में लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से बढ़ाकर 3 मई तक कर दी गई है। ऐसे में सभी घरेलू उड़ानों पर भी रोक बढ़ा दी गई है, जिसके बाद अब एयरलाइंस पैसा रिफंड करने की बजाए क्रेडिट शेल देने की बात कर रही हैं। 

मालूम हो, 14 अप्रैल के बाद की अवधि के लिए एयर इंडिया को छोड़कर अधिकतर विमानन कंपनियों ने घरेलू उड़ानों की बुकिंग जारी रखी थी, लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ने के बाद एयरलाइंस कह रही हैं कि वो पैसे के बदले अपने यात्रियों को क्रेडिट शेल देंगी, जिसके जरिए लॉकडाउन खुलने के बाद यात्री यात्रा कर सकेंगे। अब ऐसी स्थिति में यात्री ट्रैवल एजेंटों के साथ कहासुनी कर रहे हैं।

'आज तक' की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक अनुमान में ये कहा गया है कि इस तरह के करीब 8,000 करोड़ रुपए एयरलाइंस के पास पड़े हुआ हैं। दरअसल, पहले से ही एयरलाइंस नकदी की किल्लत झेल रही हैं। इसलिए एयरलाइंस अपनी जेब से अब वो पैसा वापस नहीं देना चाह रही हैं, जिसके बाद उन्होंने इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की सलाह पर टिकट को क्रेडिट शेल में बदलने का फैसला किया है।  

वहीं, इस मामले में ट्रैवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAAI) की प्रेसिडेंट ज्योति मयाल का कहना है कि ग्राहक उनके सिर पर अपना पैसा मांगने के लिए खड़े हैं, लेकिन विमानन कंपनियां ऐसा करना नहीं चाह रही हैं। विमानन कंपनियां ग्राहकों को क्रेडिट शेल देने को तैयार हैं। मगर यात्रियों को भरोसा नहीं है कि कब और कैसे वह इसका इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसे में ग्राहकों ने पुलिस में जाकर शिकायत कर दी है।

अपनी बात को जारी रखते हुए मयाल कहते हैं कि TAAI किंगफिशर और जेट जैसे मामलों को झेल चुका है। इसलिए इस बार वो किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। ऐसे में जो नकदी दी गई है, उन्हें व ग्राहकों को वहीं वापस चाहिए। इसके बदले में उन्हें क्रेडिट शेल नहीं चाहिए। 

किसे कहते हैं क्रेडिट शेल?

क्रेडिट शेल का मतलब है कि विमानन कंपनी द्वारा यात्रियों को एक नोट जारी किया जायेगा, जिसकी मदद से वो आगे कभी भी उतनी ही रकम का टिकट खरीद सकते हैं। क्रेडिट शेल की प्रक्रिया में कंपनी ग्राहकों को सिर्फ एक नोट देती है कि आपका पैसा हमारे पास है, लेकिन वो कभी पैसा रिफंड नहीं करती है।

Web Title: Coronavirus Lockdown: Airlines not giving back 8 thousand crores of customers

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