भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजे में कटौती सिर्फ सांविधिक तरीके से: न्यायालय
By भाषा | Published: March 2, 2021 10:34 PM2021-03-02T22:34:22+5:302021-03-02T22:34:22+5:30
नयी दिल्ली, दो मार्च उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत दिए गए मुआवजे में सिर्फ सांविधिक तरीके से ही कटौती की जा सकती है। राज्य या अन्य इसे अन्य किसी तरीके से काट नहीं सकते।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायलय के 2018 के आदेश के खिलाफ सार्वजनिक उपक्रम टेहरी हाइड्रो डेवलममेंट कॉरपोरेशन लि. (टीएचडीसीएल) की अपील को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।
टीएचडीसीएल की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि कंपनी ने अधिग्रहीत जमीन के लिए मुआवजा दिया है और वह वह विकसित जमीन हासिल करने वालों से विकास शुल्क लेना चाहती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘भूमि अधिग्रहण कानून के तहत राशि में सिर्फ सांविधिक तरीके से कटौती हो सकती है। सरकार यह नहीं कह सकती कि उसकी अपनी नीति है और ऐसे में मुआवजा कम होगा। विशेषरूप से यह देखते हुए कि उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश की पुष्टि की है।’’
पीठ ने कहा कि इस बारे में आदेश की पुष्टि के बाद सरकार यह नहीं कह सकती कि वह कटौती कर के मुआवजा देगी।
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