छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था पांच साल बढ़ाने की मांग की

By भाषा | Updated: December 30, 2021 17:00 IST2021-12-30T17:00:01+5:302021-12-30T17:00:01+5:30

chhattisgarh chief minister demands extension of gst compensation system by five years | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था पांच साल बढ़ाने की मांग की

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था पांच साल बढ़ाने की मांग की

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर छत्तीसगढ़ के मु्ख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू होने से राज्यों को होने वाली राजस्व क्षति की भरपाई को लेकर की गई क्षतिपूर्ति व्यवस्था को पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से की।

बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यहां आयोजित बजट-पूर्व बैठक में जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को जून 2022 के बाद भी पांच साल तक जारी रखने की मांग रखी। उन्होंने कहा, "जीएसटी लागू होने से छत्तीसगढ़ को लगभग 5,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होने का अनुमान है लेकिन केंद्र की तरफ से इसकी भरपाई नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में यह व्यवस्था जून 2022 के बाद भी अगले पांच साल तक जारी रखी जाए।"

उल्लेखनीय है कि जीएसटी प्रणाली के जुलाई 2017 में लागू होते समय यह प्रावधान किया गया था कि जून 2022 तक केंद्र सरकार राज्यों को होने वाली राजस्व क्षति की भरपाई करेगी।

राज्य सरकार की तरफ से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, इस बैठक में बघेल ने कहा कि पिछले तीन वर्ष के केंद्रीय बजट में छतीसगढ़ को केन्द्रीय करों में मिलने वाले हिस्से की राशि भी 13,089 करोड़ रुपये कम मिली है। उन्होंने वर्ष 2022-23 के बजट में केंद्रीय करों के हिस्से की पूरी राशि राज्य को दिए जाने की मांग भी रखी।

बघेल ने कोयला उत्खनन पर केंद्र के पास जमा राशि 4,140 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ को शीघ्र देने और नक्सल उन्मूलन के लिए राज्य में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों पर खर्च किए गए 15 हजार करोड़ रुपये की भरपाई की भी मांग की। उन्होंने कहा कि इसके लिए अगले बजट में विशिष्ट प्रावधान किया जाए।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से राज्यों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में केंद्र से राशि मिलने पर राज्य सरकार उसका इस्तेमाल विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं में कर सकेगी।

इस बैठक में अन्य राज्यों के वित्तमंत्री भी उपस्थित रहे।

बघेल ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल पर केंद्रीय उत्पाद कर में की गई कटौती से राज्य के हिस्से में आने वाली राशि में कमी होगी। इसके अलावा मूल्य-वर्द्धित कर (वैट) से मिलने वाले राजस्व में भी कमी होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में केंद्र को उत्पाद कर के स्थान पर उपकरों में कमी करनी चाहिए।

बघेल ने प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना का बेहतर क्रियान्वयन करने वाले राज्यों को प्रति परिवार 1100 रुपये प्रीमियम की सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि इससे हितग्राहियों की संख्या बढ़ेगी और अधिकांश जनसंख्या को इसका लाभ मिलेगा।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के पात्र परिवार को प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना के लिए भी पात्र घोषित करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना एवं जल जीवन मिशन में भी राज्यों की सहभागिता को कम कर केंद्र का अंशदान 75 प्रतिशत किया जाए।

इसके अलावा बघेल ने बजट में रायपुर में अंतरराष्ट्रीय कार्गो टर्मिनल बनाने, केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय का एक परिसर खोलने और ‘वोकल फॉर लोकल योजना’ के तहत विपणन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखने की भी मांग की।

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