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केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 1, 2022 20:59 IST

विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार मोटर गैसोलीन (पेट्रोल) निर्यातकों को निर्यात के समय इस बात की घोषणा करनी होगी कि उसने पेट्रोल निर्यात का 50 फीसदी हिस्सा घरेलू बाजार के लिए रखा है या नहीं। वहीं गैस ऑयल या ऑटोमोटिव डीजल एक्सपोर्टर्स के लिए यह मात्रा 30 फीसदी तय की गई है।

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ठळक मुद्देकेंद्र ने पेट्रोल-डीजल निर्यात पर इसलिए प्रतिबंध लगा ताकि देश में पर्याप्त ईंधन की उपलब्ध हो सकेकंपनियों को अब निर्यात के 50 फीसदी पेट्रोल और 30 फीसदी डीजल के स्टॉक को रखना होगा

दिल्ली: केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार की खपत को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर शुक्रवार को प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी सूचना के मुताबिक सरकार ने यह प्रतिबंध इसलिए लगाया है ताकि देश में पर्याप्त ईंधन की उपलब्धता को सुनिश्चित कराया जा सकता है।

समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार मोटर गैसोलीन (पेट्रोल) निर्यातकों को निर्यात के समय इस बात की घोषणा करनी होगी कि उसने पेट्रोल निर्यात का 50 फीसदी हिस्सा घरेलू बाजार के लिए रखा है या नहीं।

इस चालू वित्त वर्ष के दौरान घरेलू बाजार के लिए पेट्रोल निर्यात का 50 फीसदी स्टॉक रखना जरूरी होगा। वहीं गैस ऑयल या ऑटोमोटिव डीजल एक्सपोर्टर्स के लिए यह मात्रा 30 फीसदी तय की गई है।

हालांकि, सरकार के इस प्रतिबंध से भूटान और नेपाल को बाहर रखा गया है। इसके साथ ही यह प्रतिबंध एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स (ईओयू) और एसईजेड की इकाइयों पर भी लागू नहीं होगा।

इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि निर्यातकों को इसके बारे में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को तिमाही रिटर्न दाखिल करना होगा। केंद्र का यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार ने शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन (एटीएफ) पर निर्यात कर लगाया था, जबकि ब्रिटेन जैसे देशों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाने में शामिल हो गया था।

वित्त मंत्रालय की अधिसूचना, जो कि 1 जुलाई से प्रभावी हुई। उसमें कहा गया है कि पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर कर और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर वसूला जाएगा। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि तेल कंपनियों को ईंधन निर्यात के लिए विदेशी बाजारों को तरजीह देने की बजाय घरेलू आपूर्ति पर ध्यान देने के लिए दबाव बनाया जा सके।

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