नयी दिल्ली, 29 सितंबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कर्ज बीमा प्रदाता ईसीजीसी लि. में 4,400 करोड़ रुपये की पूंजी डालने और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये इसे शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी दी।
सरकार ने राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) योजना जारी रखने और पांच साल में सहायता अनुदान के रूप में 1,650 करोड़ रुपये लगाये जाने को भी मंजूरी दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने निर्यात क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिये कई कदम उठाये हैं।
उन्होंने कहा कि इसके तहत अगले पांच साल में (2021-22 से 2025-26) ईसीजीसी लि. (पूर्व में भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम लि.) में 4,400 करोड़ रुपये पूंजी डाली जाएगी।
मंत्री ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में 21 सितंबर, 2021 तक निर्यात 185 अरब डॉलर का रहा और वित्त वर्ष की पहली छमाही में 190 अरब डॉलर पहुंच सकता है।
ईसीजीसी में पूंजी डाले जाने के साथ आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये सूचीबद्ध होने से कंपनी की जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ेगी।
गोयल ने कहा कि 500 करोड़ रुपये तत्काल डाले जाएंगे जबकि 500 करोड़ रुपये अगले वित्त वर्ष में दिये जाएंगे। शेष राशि जरूरत आधारित होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को सूचीबद्ध कराने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी और आईपीओ अगले वित्त वर्ष में आएगा।
ईसीजीसी में पूंजी डाले जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में गोयल ने कहा, ‘‘यदि हम अधिक लोगों (निर्यातकों) का बीमा करने और उपलब्ध गुंजाइश का उपयोग करने में सक्षम होते हैं, तो आवश्यकता पड़ने पर कोष उपलब्ध कराया जाएगा। मंत्रिमंडल ने साफ कहा है कि पहली किस्त तुंरत जारी की जाएगी और दूसरी किस्त दीपम (निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग) की सूचीबद्धता प्रक्रिया से जुड़ी होगी। इसीलिए मैंने अगले साल कहा कि क्योंकि मुझे उम्मीद है कि सूचीबद्ध कराने का काम अगले साल होगा।’’
सूचीबद्ध होने वाले ईसीजीसी के शेयर के प्रतिशत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह नयी इक्विटी या विनिवेश या दोनों हो सकता है।
गोयल ने कहा, ‘‘...पहले से एक वैकल्पिक व्यवस्था है। उसके आधार पर निर्णय किया जाता है। हम इस बारे में उचित समय पर निर्णय करेंगे।’’
ईसीजीसी लि. सरकार के स्वामित्व वाली केंद्रीय लोक उपक्रम है। इसके गठन का मकसद निर्यात के लिये कर्ज जोखिम बीमा और संबंधित सेवाओं के जरिये निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार लाना है।
कंपनी का लक्ष्य 2025-26 तक अधिकतम देनदारी को एक लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2.03 लाख करोड़ रुपये करने का है।
आधिकारिक बयान के अनुसार ईसीजीसी लिमिटेड के सूचीबद्ध होने से कंपनी के वास्तविक मूल्य का निर्धारण होगा और कंपनी की इक्विटी हिस्सेदारी में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहन देने से ‘लोगों के स्वामित्व’ को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पारदर्शिता और अधिक जवाबदेही के माध्यम से कंपनी संचालन को भी बढ़ावा मिलेगा।
बयान के अनुसार सूचीबद्ध होने से ईसीजीसी, बाजार से बाद में अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) के माध्यम से नयी पूंजी जुटाने में सक्षम हो सकती है। इससे कंपनी को अधिकतम देनदारी कवर बढ़ाने में मदद मिलेगी।
विनिवेश से प्राप्त राशि का उपयोग सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा।
सीसीईए ने राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) योजना जारी रखने और पांच साल में सहायता अनुदान के रूप में 1,650 करोड़ रुपये लगाये जाने को भी मंजूरी दी।
एनईआईए में पूंजी डालने से उन बाजारों में परियोजना निर्यात की क्षमता के उपयोग में मदद मिलेगी, जहां ध्यान दिया जा रहा है। यह 33,000 करोड़ रुपये मूल्य तक के परियोजना निर्यात को समर्थन दे सकेगा।
एक अलग विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनईआईए में पूंजी डाले जाने से 2.6 लाख नये रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी। इसमें 12,000 नौकरियां संगठित क्षेत्र में होंगी।
ईसीजीसी का गठन वाणिज्यिक और राजनीतिक कारणों से विदेशी खरीदारों द्वारा भुगतान नहीं होने की स्थिति में निर्यातकों को कर्ज बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। यह कर्ज लेने वाले निर्यातकों के मामले में जोखिम से बचाव को लेकर बैंकों को भी बीमा प्रदान करती है।
ईसीजीसी में पूंजी डाले जाने से कंपनी निर्यात उन्मुख उद्योग खासकर श्रम गहन क्षेत्रों में अपना दायरा बढ़ा सकेगी।
देश में निर्यात ऋण बीमा बाजार में 85 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ ईसीजीसी सबसे आगे है।
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