Budget 2024 Live Updates: कबाड़ टायर का ‘डंपिंग ग्राउंड’ बन रहा भारत, आयात पर अंकुश लगाओ, वाहन टायर विनिर्माता संघ ने वित्त मंत्री सीतारमण से की मांग, जानें वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 9, 2024 17:39 IST2024-07-09T17:37:20+5:302024-07-09T17:39:35+5:30

Budget 2024 Date, Time Live Updates: कबाड़ टायर का ऐसा अंधाधुंध आयात न केवल पर्यावरण व सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक है।

Budget 2024 Date Time Live Updates atma India becoming dumping ground scrap tyres curb imports Vehicle Tire Manufacturers Association demands Finance Minister | Budget 2024 Live Updates: कबाड़ टायर का ‘डंपिंग ग्राउंड’ बन रहा भारत, आयात पर अंकुश लगाओ, वाहन टायर विनिर्माता संघ ने वित्त मंत्री सीतारमण से की मांग, जानें वजह

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Highlightsआयात पर नीतिगत उपायों के जरिये अंकुश लगाने की आवश्यकता है।टायर का विनिर्माण सालाना 20 करोड़ से अधिक पर पहुंच गया है।उच्चतम दर उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता को प्रभावित करती है।

Budget 2024 Date, Time Live Updates: वाहन टायर विनिर्माता संघ (एटीएमए) ने मंगलवार को कहा कि भारत में कबाड़ टायर के आयात पर अंकुश लगाने की जरूरत है। निकाय ने कहा कि देश कबाड़ टायर का ‘डंपिंग ग्राउंड’ बनता जा रहा है। एटीएमए ने वित्त मंत्रालय को अपनी बजट-पूर्व अनुशंसाओं में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के बाद से भारत में बेकार/कबाड़ टायर का आयात पांच गुना से अधिक बढ़ गया है। इसमें कहा गया, ‘‘कबाड़ टायर का ऐसा अंधाधुंध आयात न केवल पर्यावरण व सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक है।

बल्कि यह विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) विनियमन के उद्देश्य को भी कमजोर करता है। यह नियम जुलाई, 2022 से लागू है। एटीएमए के चेयरमैन अर्नब बनर्जी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘‘ भारत में बेकार/कबाड़ टायर के आयात पर नीतिगत उपायों के जरिये अंकुश लगाने की आवश्यकता है ....’’

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में अग्रणी टायर विनिर्माताओं में से एक के रूप में उभरा है, जहां घरेलू स्तर पर टायर का विनिर्माण सालाना 20 करोड़ से अधिक पर पहुंच गया है। इसलिए देश में पर्याप्त घरेलू एंड ऑफ लाइफ टायर (ईएलटी) क्षमता उपलब्ध है। एटीएमए ने अपनी बजटीय अनुशंसा में देश में घरेलू मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए प्राकृतिक रबड़ (एनआर) के शुल्क मुक्त आयात की भी मांग की है।

इसमें कहा गया, ‘‘ घरेलू स्तर पर निर्मित प्राकृतिक रबड़ की अनुपलब्धता के कारण टायर उद्योग की करीब 40 प्रतिशत प्राकृतिक रबड़ की आवश्यकता आयात से पूरी होती है। भारत में प्राकृतिक रबड़ के आयात पर शुल्क की उच्चतम दर उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता को प्रभावित करती है।’’

एटीएमए ने टायर के प्रमुख कच्चे माल, प्राकृतिक रबड़ पर उलट शुल्क ढांचे के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। इसमें दावा किया गया, ‘‘ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत टायर पर मूल सीमा शुल्क 10-15 प्रतिशत है, जबकि देश में टायर का आयात और भी कम शुल्क (तरजीही शुल्क) पर किया जाता है। इसके प्रमुख कच्चे माल, यानी प्राकृतिक रबड़ पर मूल सीमा शुल्क बहुत अधिक (25 प्रतिशत या 30 रुपये प्रति किलोग्राम, जो भी कम हो) है।’’ 

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