बजट 2019ः अप्रैल-मार्च के बदले जनवरी-दिसंबर से हो सकता है वित्त वर्ष, आम आदमी पर पड़ेगा क्या असर?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 25, 2019 02:47 PM2019-01-25T14:47:02+5:302019-01-25T16:24:02+5:30

मोदी सरकार के इस फैसले से आम आदमी की जिंदगी पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन टैक्स प्लानिंग, टैक्स फाइलिंग, कंपनियों के तिमाही नतीजे और शेयर बाजार में पश्चिमी देशों जैसा चलन दिखेगा।

Budget 2019: Government will decide financian year from Jan-Dec, how will the impact on the common man? | बजट 2019ः अप्रैल-मार्च के बदले जनवरी-दिसंबर से हो सकता है वित्त वर्ष, आम आदमी पर पड़ेगा क्या असर?

बजट 2019ः अप्रैल-मार्च के बदले जनवरी-दिसंबर से हो सकता है वित्त वर्ष, आम आदमी पर पड़ेगा क्या असर?

Highlightsप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मुख्यमंत्रियों की बैठक में वित्त वर्ष में बदलाव की वकालत की थी।टैक्स प्लानिंग, टैक्स फाइलिंग, कंपनियों के तिमाही नतीजे और शेयर बाजार में पश्चिमी देशों जैसा चलन दिखेगा।

नई दिल्ली, 25 जनवरी: साल 1952 से चल रही अप्रैल-मार्च की वित्त वर्ष की परंपरा बदल सकती है। सरकार इस बजट में इसे जनवरी-दिसंबर करने की घोषणा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मुख्यमंत्रियों की बैठक में वित्त वर्ष में बदलाव की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि एक तेजतर्रार व्यवस्था विकिसत करने की जरूरत है, जो विविधता के बीच काम कर सके। इस बदलाव के कारण केंद्र सरकार को बजट नवंबर में पेश करना होगा। हालांकि इससे आम आदमी की जिंदगी पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन टैक्स प्लानिंग, टैक्स फाइलिंग, कंपनियों के तिमाही नतीजे और शेयर बाजार में पश्चिमी देशों जैसा चलन दिखेगा।

मध्य प्रदेश वित्त वर्ष को जनवरी-दिसंबर करने की घोषणा करने वाला पहला राज्य है। वित्त वर्ष वित्तीय मामलों में हिसाब के लिए आधार होता है। हर साल 1 अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक की 12 महीने की अवधि वित्त वर्ष कही जाती है। बजट प्रक्रिया पूरी करने में दो महीने का समय लगता है। बदलाव के कारण बजट सत्र की संभावित तारीख नवंबर का पहला सप्ताह हो सकती है। सरकार ने दो साल पहले वित्त वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी से करने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

1867 में अपनाई गई थी मौजूदा व्यवस्था

भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के वित्त वर्ष की व्यवस्था 1867 में अपनाई गई थी। इसका मकसद भारतीय वित्त वर्ष का ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष से तालमेल बिठाना था। उससे पहले तक देश में वित्त वर्ष 1 मई से 30 अप्रैल तक होता था। नीति आयोग ने भी वित्त वर्ष में बदलाव पर जोर दिया था। उसकी दलील थी कि मौजूदा प्रणाली में कामकाज के सत्र का उपयोग नहीं हो पाता। संसद की वित्त पर स्थाई समिति ने भी वित्त वर्ष जनवरी-दिसंबर करने की सिफारिश की थी।

English summary :
The tradition of the April-March financial year might change in the budget 2019 which will be presented in Parliament on 1st February. Central government is expected to change it to January-December financial year in this budget, know how it will impact common man and in tax filling.


Web Title: Budget 2019: Government will decide financian year from Jan-Dec, how will the impact on the common man?

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