चार साल बाद आता था बर्थडे फिर भी इस वित्त मंत्री ने दो बार अपने जन्मदिन पर पेश किया बज़ट, अब तक है रिकॉर्ड
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 24, 2018 06:15 PM2018-01-24T18:15:19+5:302018-01-24T20:07:43+5:30
देश के इस वित्त मंत्री को एक नहीं बल्कि दो बार अपने जन्मदिन पर केंद्रीय बज़ट पेश करना का मौका मिला था।
पूरे देश को बज़ट 2018 का इंतजार है। नरेंद्र मोदी सरकार के इस आखिरी पूर्ण बज़ट से सभी वर्गों को कुछ न कुछ उम्मीद है। वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फ़रवरी को बज़ट पेश करेंगे। भारतीय संसद के बज़ट सत्र का पूर्वार्ध 29 जनवरी से शुरू होगा और नौ जनवरी तक चलेगा। बज़ट सत्र का उत्तरार्ध पाँच मार्च से छह अप्रैल तक चलेगा। लोकमत न्यूज़ "बज़ट के क़िस्से" में आज हम ऐसे वित्त मंत्री के बारे में बताने जा रहा है जिसे अपने जन्मदिन पर बज़ट पेश करना का मौका मिला। ज्यादा ख़ास बात ये है कि उस वित्त मंत्री का जन्मदिन चार साल बाद आता था। उसे एक बार ही नहीं दो बार ये मौका मिला। इतना ही नहीं उसे 10 बार बज़ट पेश करने का मौका मिला। ये दोनों रिकॉर्ड अभी तक उन्हीं के नाम हैं।
अपने जन्मदिन पर भारत का बज़ट पेश करने का मौका मिला था मोरारजी देसाई को। मोरारजी देसाई दो बार देश के वित्त मंत्री रहे थे। पहली बार वो 1959 में जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बने और साल 1963 तक इस पद पर रहे। मोरारजी देसाई दूसरी बार 1967 में इंदिरा गांधी सरकार में वित्त मंत्री बने और 1970 तक इस पद पर रहे। 1960 और 1968 में मोरारजी देसाई ने अपने जन्मदिन 29 फ़रवरी को देश का बज़ट पेश किया था। मोरारजी देसाई को 10 बार केंद्रीय बज़ट पेश करने का मौका मिला था। वित्त मंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने पाँच बार वार्षिक बज़ट और एक बार अंतरिम बज़ट पेश किया था। वित्त मंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने तीन बार पूर्ण बज़ट और एक बार अंतरिम बज़ट पेश किया था।
मोरारजी देसाई ने ऐसे बनाया ये रिकॉर्ड
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात में हुआ था। राजनीति में आने से पहले मोरारजी देसाई करीब 12 सालों तक डिप्टी कलेक्टर के पद पर रहे थे। मोरारजी देसाई 1931 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने। 1937 में वो गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी चुने गये। जब 1937 में मुंबई में बीजी खेर के नेतृत्व में कांग्रेस की प्रांतीय सरकार बनी तो देसाई राजस्व, कृषि, वन और सहकारी मंत्री बने। 1939 में देसाई ने अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ दूसरे विश्व युद्ध में भारत को शामिल करने का विरोध किया तो ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया। वो अक्टूबर 1941 में जेल से रिहा हुए। अगस्त 1942 में वो दोबारा "भारत छोड़ो आंदोलन" में जेल गये और 1945 में रिहा हुए। 1946 में जब प्रांतीय चुनाव हुए और कांग्रेस की सरकार बनी तो देसाई गृह और राजस्व मंत्री बने। आजादी के बाद 1952 में देसाई बॉम्बे प्रेसीडेंसी के राजस्व मंत्री बने।
14 नवंबर 1956 को देसाई प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और देश के उद्योग और वाणिज्य मंत्री बने। 22 मार्च 1958 को वो देश के वित्त मंत्री बने। ब्रिटिश सरकार के जमाने से ही परंपरा थी कि फ़रवरी के आखिरी दिन केंद्र सरकार बज़ट पेश करती थी। 1960 में फ़रवरी 29 दिन की थी। मोरारजी ने जब 29 फ़रवरी को बज़ट पेश किया तो वो आजाद भारत में अपने जन्मदिन पर बज़ट पेश करने वाले पहले वित्त मंत्री बन गये। ये भी संजोग है कि जिन वित्त मंत्रियों का जन्मदिन हर साल आता है उनके बजाय ये रिकॉर्ड ऐसे नेता के नाम दर्ज हुआ जिसका जन्मदिन हर साल बाद (लीप ईयर) आता है।
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मोरारजी देसाई ने जब दूसरी बार जन्मदिन पर पेश किया बज़ट
मोरारजी ने 1963 में कामराज प्लान के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री के कामराज ने प्रस्ताव दिया था कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरकारी पद छोड़कर संगठन के लिए काम करें। इस प्रस्ताव के बाद मोरारजी समेत छह केंद्रीय मंत्रियों और छह कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा दिया था। 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने। 1966 में शास्त्री जी का भी अचानक ताशकंद में देहांत हो गया। उनकी जगह इंदिरा गांधी देश की तीसरी और पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। देसाई 1967 में इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के तौर पर शामिल हुए। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने 29 फ़रवरी 1968 को बज़ट पेश किया। इस तरह दूसरी बार भी उन्हें अपने जन्मदिन पर भारत का केंद्रीय बज़ट पेश करने का मौका मिला।
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इंदिरा गांधी ने जुलाई 1969 में देसाई से वित्त मंत्री का पद छीन लिया जिसके बाद उन्होंने कैबिनेट और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ तो देसाई इंदिरा गांधी के विरोधी कांग्रेस (ओ) के प्रमुख नेता थे। 1971 में देसाई लोक सभा चुनाव जीतकर सांसद बने लेकिन अभी तक जिस संसद में वो सत्ता पक्ष की तरफ बैठते आए थे, अबकी बार वो विपक्ष में थे। इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल के बाद मार्च 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी तो देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। देसाई सूरत से सांसद चुने गये थे। 24 मार्च 1977 को देश के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ ली। जुलाई 1979 तक वो इस पद पर रहे। जनता पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी की वजह से उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 1980 के लोक सभा चुनाव में मोरारजी देसाई ने चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया लेकिन खुद चुनाव नहीं लड़े। उसके बाद वो सक्रिय राजनीति से दूर होते गये। जीवन के आखिरी दौर में वो अपने बॉम्बे में रहे, जहाँ 10 अप्रैल 1995 को उनका देहांत हो गया।