बजट 2018: बातें बड़ी-बड़ी लेकिन रक्षा खर्च में फिसड्डी है मोदी सरकार

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 23, 2018 02:44 PM2018-01-23T14:44:00+5:302018-01-23T15:43:56+5:30

Budget 2018: मोदी सरकार खुद को राष्ट्रवाद और सेना के मुद्दे पर आक्रामक दिखाने की कोशिश करती है। लेकिन जब बात रक्षा क्षेत्र में खर्च को लेकर आती है तो मोदी सरकार की अलग तस्वीर देखने को मिलती है। रक्षा क्षेत्र में खर्च को लेकर पिछली सरकारों से भी फिसड्डी साबित होती है।

Budget 2018: Lowest Defence sector spending during Modi Government | बजट 2018: बातें बड़ी-बड़ी लेकिन रक्षा खर्च में फिसड्डी है मोदी सरकार

बजट 2018: बातें बड़ी-बड़ी लेकिन रक्षा खर्च में फिसड्डी है मोदी सरकार

'पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब देना चाहिए। ये लव लेटर लिखना बंद करना चाहिए। पाकिस्तान हमको मारकर चला गया। हमारे मंत्री जी अमेरिका गए और रोने लगे ओबामा-ओबामा। पड़ोसी मार के चला गया और अमेरिका जाते हो। अरे पाकिस्तान जाओ ना। पाकिस्तान जो भाषा में समझे समझाना चाहिए।'

साल 2013 की बात है। नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से उनके प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाए जाने की सुगबुगाहट तेज थी। उस वक्त एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को लेकर जो कहा था उसका एक अंश ऊपर लिखा गया है।

2014 में लोकसभा चुनाव हुए। बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। हालात जस के तस रहे। लोगों को उम्मीद थी कि बीजेपी का आक्रामक रुख शायद सेना की हालत बदल सके लेकिन आतंकी हमले बढ़ते रहे और मोदी सरकार के नेताओं की बयानबाजी भी।

उड़ी हमले के बाद पीएम मोदी- 'एक देश की वजह से पूरा एशिया रक्तरंजित हो रहा है। देश उड़ी हमले की शहादत को भूल नहीं सकता। भारत आतंकवाद के आगे झुक नहीं सकता।'

संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज- पाकिस्तान आतंकवाद के निर्यात का कारखाना है।

2017 में बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली- सेना की किसी आवश्यकता से समझौता नहीं किया जाएगा। चाहे हमें अन्य खर्चों में कटौती ही क्यों ना करनी पड़े।

मोदी सरकार खुद को राष्ट्रवाद और सेना के मुद्दे पर आक्रामक दिखाने की कोशिश करती है। छोटी-छोटी बातों में भी सेना के बलिदान का बखान किया जाता है। खालिस सरकारी मुद्दों को भी सेना से जोड़ दिया जाता है और सेना को राजनीति से। लेकिन जब बात रक्षा क्षेत्र में खर्च को लेकर आती है तो मोदी सरकार की अलग तस्वीर देखने को मिलती है। मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में खर्च को लेकर पिछली सरकारों से भी फिसड्डी साबित होती है।

साल 2017-18 के केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया खर्च साल 1996-97 के बाद सबसे कम (प्रतिशत के लिहाज से) है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रक्षा क्षेत्र के खर्च के लिए कुल बजट का 12.22 प्रतिशत आवंटित किया। यह साल 2016-17 के मुबाबले भी कम है। उस वर्ष कुल बजट का 12.31 प्रतिशत आवंटित किया गया था। मोदी शासनकाल में पहला बजट 2014-15 में आवंटित किया गया था। उसके बाद रक्षा क्षेत्र में लगातार कटौती की जा रही है।

1996-97 के बाद रक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आवंटन 2000-01 के बजट में हुआ था। कारगिल युद्ध के बाद के इस बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने रक्षा क्षेत्र के लिए 16.73 प्रतिशत राशि आवंटित की थी। इसके बाद मनमोहन सरकार में साल 2004-05 में भी उछाल देखा गया और रक्षा क्षेत्र में 16.14 प्रतिशत खर्च किया गया।

इस टेबल में देखिए साल-दर-साल रक्षा क्षेत्र में बजट का हाल

2017-18 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए कुल 2,74,114 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो कि जीडीपी का 1.56 प्रतिशत है। माना जा रहा है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सबसे कम है। 1947 से 1962 के बीच रक्षा क्षेत्र के खर्च का औसत जीडीपी का 1.59 प्रतिशत है।

2017 में रक्षा बजट की स्टैंडिंग कमेटी प्रमुख मेजर जनरल बीसी खंडूरी (रिटायर्ड) का कहना था कि रक्षा बजट में कटौती की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह पहले ही 3 प्रतिशत के जरूरी मानक से कम है। सुरक्षा बलों के समुचित संचालन के लिए जीडीपी का 3 प्रतिशत रक्षा खर्च में दिया जाना जरूरी है। रक्षा मंत्रालय को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।

Web Title: Budget 2018: Lowest Defence sector spending during Modi Government

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