कौन थे लॉर्ड स्वराज पॉल?, जालंधर की गलियों से ब्रिटेन तक का सफर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 22, 2025 13:05 IST2025-08-22T13:05:07+5:302025-08-22T13:05:56+5:30

जालंधर में हाई स्कूल की शिक्षा और 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद लॉर्ड पॉल मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए।

British-Indian industrialist Lord Swraj Paul passes away in London 18 feb 1931 22 august 2025 His journey from the streets of Jalandhar to Britain | कौन थे लॉर्ड स्वराज पॉल?, जालंधर की गलियों से ब्रिटेन तक का सफर

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Highlightsलॉर्ड पॉल ने इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन स्थित कपारो ग्रुप की स्थापना की जो एक विविध व्यवसाय इकाई है।मूल्यवर्धित इस्पात और विशिष्ट इंजीनियरिंग उत्पादों के डिजाइन, निर्माण, विपणन एवं वितरण में लगी है। 1966 में अपनी बेटी अंबिका का ‘ल्यूकेमिया’ का इलाज कराने के लिए वह ब्रिटेन गए।

नई दिल्लीः जालंधर की गलियों से ब्रिटेन तक का सफर तय करने वाले लॉर्ड स्वराज पॉल का बृहस्पतिवार शाम लंदन में निधन हो गया। वह अपने पीछे उद्यमिता एवं परोपकारी कामों की समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। प्यारे लाल के घर में 18 फरवरी 1931 को जन्मे लॉर्ड पॉल अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही व्यवसाय से परिचित थे। लॉर्ड पॉल के पिता बाल्टियों और अन्य कृषि उपकरणों सहित इस्पात के सामान बनाने के लिए एक छोटा सा ढलाईखाना चलाते थे। लॉर्ड पॉल ने इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन स्थित कपारो ग्रुप की स्थापना की जो एक विविध व्यवसाय इकाई है।

यह मुख्य रूप से मूल्यवर्धित इस्पात और विशिष्ट इंजीनियरिंग उत्पादों के डिजाइन, निर्माण, विपणन एवं वितरण में लगी है। जालंधर में हाई स्कूल की शिक्षा और 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद लॉर्ड पॉल मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका चले गए।

एमआईटी में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौट आए और अपने पारिवारिक व्यवसाय एपीजे सुरेंद्र ग्रुप (जो भारत के सबसे पुराने व्यापारिक समूहों में से एक है) में शामिल हो गए। 1966 में अपनी बेटी अंबिका का ‘ल्यूकेमिया’ का इलाज कराने के लिए वह ब्रिटेन गए। दुर्भाग्यवश चार साल की उम्र में उनकी बेटी का निधन हो गया।

बाद में उन्होंने एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की, जिसने शिक्षा एवं स्वास्थ्य पहलों के माध्यम से दुनिया भर में बच्चों एवं युवाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए लाखों रुपये दान किए। लंदन स्थित अंबिका पॉल चिल्ड्रन्स जू इस फाउंडेशन के प्रमुख लाभार्थियों में से एक है। लॉर्ड पॉल ने 1968 में लंदन में मुख्यालय के साथ कपारो की नींव रखी।

और यह कंपनी आगे चलकर ब्रिटेन की सबसे बड़ी इस्पात रूपांतरण और वितरण कंपनियों में से एक बन गई। आज इसका संचालन ब्रिटेन, भारत, अमेरिका, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात में है। इसका कारोबार एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। व्यवसाय में सफलता मिली लेकिन उनके जीवन में कई दुखभरे पल आएं।

छोटी सी उम्र में बेटी अंबिका को खोने के अलावा, उन्होंने अपने बेटे अंगद पॉल (जो 2015 में कपारो समूह के सीईओ थे) और अपनी पत्नी अरुणा को 2022 में खो दिया। व्यक्तिगत क्षति ने उन्हें उनकी स्मृति में और अधिक परोपकारी कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अंबिका पॉल फाउंडेशन का नाम बदलकर अरुणा एंड अंबिका पॉल फाउंडेशन कर दिया गया ताकि उनके द्वारा फाउंडेशन के अनेक कार्यों में दिए सहयोग एवं योगदान को पहचान दी जा सके। भारतीय व्यापार परिदृश्य में, लॉर्ड पॉल को 80 के दशक के आरंभ में एस्कॉर्ट्स ग्रुप और डीसीएम ग्रुप पर कब्जा करने के उनके आक्रामक प्रयासों के लिए भी याद किया जाता है।

जिसके लिए कानूनी लड़ाई के बाद तत्कालीन सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी थी। वह वार्षिक ‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ में नियमित रूप से शामिल रहते थे। इस वर्ष उन्हें 81वें स्थान पर रखा गया था। उनकी अनुमानित संपत्ति दो अरब जीबीपी (ग्रेट ब्रिटिश पाउंड) थी।

हाल के महीनों में अपने कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद वह लगातार हाउस ऑफ लॉर्ड्स आते रहे। ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उनके निधन से एक ऐसी शून्यता उत्पन्न हो गई है जिसे भरना मुश्किल होगा।

Web Title: British-Indian industrialist Lord Swraj Paul passes away in London 18 feb 1931 22 august 2025 His journey from the streets of Jalandhar to Britain

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