एजीआर मामले में कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम कंपनियों की हालत पतली, एयरटेल ने दूसरी तिमाही के नतीजे 14 नवंबर तक टाले

By भाषा | Updated: October 29, 2019 12:06 IST2019-10-29T12:06:56+5:302019-10-29T12:06:56+5:30

इस फैसले से पुरानी दूरसंचार कंपनियां सर्वाधिक प्रभावित होंगी जबकि दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के ऊपर सबसे कम राशि बनेगी। इस फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया के शेयर में 23 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी वहीं एयरटेल के शेयर में लगभग 9 परसेंट की गिरावट थी। जबकि जियो की मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 3.2 फीसदी की बढ़त दिखी।

Bharti Airtel defers Q2 results seeks clarity on AGR issue | एजीआर मामले में कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम कंपनियों की हालत पतली, एयरटेल ने दूसरी तिमाही के नतीजे 14 नवंबर तक टाले

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsसरकार ने संशोधित आय के आधार पर लाइसेंस शुल्क मद में भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और कई बंद हो चुकी दूरसंचार परिचालकों से 92,000 करोड़ रुपये की मांग की है।भारती एयरटेल ने कहा, "सरकार को इस फैसले के प्रभाव की समीक्षा करनी चाहिए और उद्योग पर वित्तीय बोझ को कम करने के उचित तरीके खोजने चाहिए।"

दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के मुद्दे की वजह से सितंबर तिमाही के परिणामों की घोषणा 14 नवंबर तक टाल दी है। कंपनी को अपने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा मंगलवार को ही करनी थी। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में एयरटेल ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के मद्देनजर एजीआर मामले में अभी चीजें और स्पष्ट करने की जरूरत है। इसी वजह से कंपनी प्रबंधन ने निदेशक मंडल से सिफारिश की है कि 30 सितंबर, 2019 को समाप्त तिमाही के अंकेक्षित वित्तीय नतीजों को मंजूरी 14 नवंबर तक टाल दी जाए।’’ 

निदेशक मंडल ने प्रबंधन के इस सुझाव को मान लिया है। सुनील मित्तल की अगुवाई वाली कंपनी ने कहा कि वह दूरसंचार विभाग से संपर्क कर रही है ताकि एजीआर को लेकर कुल राशि की जानकारी प्राप्त कर सके और साथ ही इस फैसले की वजह से पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के लिए उसका सहयोग मांग सके। कंपनी ने कहा है कि अब वह दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा 14 नवंबर को करेगी। कंपनी ने कहा है कि बोर्ड की बैठक में एजेंडा में शामिल अन्य विषयों पर सामान्य तरीके से चर्चा होगी।

एयरटेल ने बृहस्पतिवार को कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों की समायोजित सकल आय पर कर के विषय में उच्चतम न्यायालय के फैसले से कंपनियों की व्यावहारिक रूप से वित्तीय स्थिति कमजोर होगी। कंपनी ने कहा कि सरकार को इस प्रभाव की समीक्षा करनी चाहिए और संकट से गुजर रहे उद्योग पर वित्तीय बोझ को कम करने के रास्ते तलाशने चाहिए। 

उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं से करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय (दूरसंचार सेवाएं की बिक्री से प्राप्त आय) की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है। इससे कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। सरकार ने संशोधित आय के आधार पर लाइसेंस शुल्क मद में भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और कई बंद हो चुकी दूरसंचार परिचालकों से 92,000 करोड़ रुपये की मांग की है। लेकिन स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, जुर्माना और ब्याज को जोड़ने के बाद वास्तविक भुगतान करीब 1.4 लाख करोड रुपये बैठेगा।

पुरानी दूरसंचार कंपनियां सर्वाधिक प्रभावित होंगी जबकि दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के ऊपर सबसे कम राशि बनेगी। जियो 2016 में अस्तित्व में आयी। सूत्रों के मुताबिक लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क समेत भारती एयरटेल पर सर्वाधिक 42,000 करोड़ रुपये की देनदारी बन रही है। वहीं वोडाफोन-आइडिया पर यह 40,000 करोड़ रुपये बैठेगा। जियो को केवल 14 करोड़ रुपये के आसपास देना पड़ सकता है। शेष राशि एयरसेल और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसे अन्य परिचालकों पर निकल सकती है। 

भारती एयरटेल ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा था कि दूरसंचार सेवा प्रदाता दूरसंचार क्षेत्र को विकसित करने और ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवाएं देने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। यह फैसला ऐसे समय आया है जब दूरसंचार क्षेत्र वित्तीय संकट से गुजर रहा है और यह फैसला क्षेत्र की सफलतापूर्वक काम करने की क्षमता को और कमजोर कर सकता है। भारती एयरटेल ने कहा, "सरकार को इस फैसले के प्रभाव की समीक्षा करनी चाहिए और उद्योग पर वित्तीय बोझ को कम करने के उचित तरीके खोजने चाहिए।"

इस फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया के शेयर में 23 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी वहीं एयरटेल के शेयर में लगभग 9 परसेंट की गिरावट थी। जबकि जियो की मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 3.2 फीसदी की बढ़त दिखी।

Web Title: Bharti Airtel defers Q2 results seeks clarity on AGR issue

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