अश्विनी महाजन का ब्लॉग: विश्व बैंक की विकास रिपोर्ट को खारिज करे भारत

By अश्विनी महाजन | Updated: August 29, 2024 10:32 IST2024-08-29T10:28:30+5:302024-08-29T10:32:30+5:30

विश्व बैंक का दावा है कि यह रिपोर्ट 108 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित है, जिनमें दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी रहती है और जो सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं।

Ashwini Mahajan blog India should reject World Bank development report | अश्विनी महाजन का ब्लॉग: विश्व बैंक की विकास रिपोर्ट को खारिज करे भारत

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsविश्व बैंक का दावा है कि यह रिपोर्ट 108 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारितजिसमें दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी रहती हैऔर जो सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं

एक अगस्त 2024 को विश्व बैंक ने अपनी विश्व विकास रिपोर्ट 2024 जारी की। इसमें आर्थिक शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए विश्व बैंक द्वारा न केवल भारत बल्कि इंडोनेशिया, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बारे में भी नकारात्मक टिप्पणी की गई है। भारत के संदर्भ में विश्व विकास रिपोर्ट का कहना है कि भारत को अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 75 साल लगेंगे। यानी एक तरह से भारत के 2047 तक विनिर्माण विकास पर सवार होकर विकसित अर्थव्यवस्था बनने के संकल्प का मजाक उड़ाने की कोशिश की गई है।

विश्व बैंक का दावा है कि यह रिपोर्ट 108 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों पर आधारित है, जिनमें दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी रहती है और जो सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट ने भारत और इंडोनेशिया की औद्योगिक नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि बहुत अधिक विकास के आधार पर तेजी से अमीर बनने के बजाय उन्हें लंबी अवधि के लिए धीमी लेकिन निरंतर वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए। 

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मध्यम आय वाले देशों को घरेलू प्रौद्योगिकी विकास का मोह छोड़ देना चाहिए और अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों और उनकी कंपनियों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि स्वयं की प्रौद्योगिकी विकसित करने का प्रयास संसाधनों की बर्बादी होगी।

इस मामले में, इस रिपोर्ट ने सरकारी सहायता देकर विदेशी प्रौद्योगिकी को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए दक्षिण कोरिया की प्रशंसा करते हुए, ब्राजील की यह कहकर आलोचना की है कि उसने अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पर कर लगाकर विदेशी प्रौद्योगिकी को हतोत्साहित किया, जिसके लिए उसे परिणाम भुगतने पड़े।

भारत को आगाह किया गया है कि वह अपनी खुद की तकनीक विकसित करने की कोशिश न करे, जैसा कि मलेशिया और इंडोनेशिया ने करने की कोशिश की है। हैरानी की बात यह है कि भारत की सेमीकंडक्टर नीति और रक्षा आत्मनिर्भरता नीति की भी आलोचना की गई है। ऐसा लगता है कि विश्व बैंक इस बात से नाराज है कि भारत सरकार ने टेस्ला इलेक्ट्रिक कार कंपनी के प्रस्ताव और शर्तों को खारिज कर दिया है और आयात शुल्क में पूरी छूट देने से इनकार कर दिया है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के लेखकों को शायद यह नहीं पता कि भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग का दुनिया में अपना एक अलग स्थान है, जिसके कारण देश में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू कर दिया है। भारत ऑनलाइन लेन-देन (विश्व प्रसिद्ध यूपीआई ) में तेजी से विकास कर रहा है, जिसे खुद विश्व विकास रिपोर्ट ने भी स्वीकार किया है कि इसने किस तरह से व्यवसायों, खासकर छोटे व्यवसायों में क्रांति ला दी है।

विश्व बैंक जिस रिपोर्ट को 108 देशों के आंकड़ों पर आधारित शोध बता रहा है, वह वास्तव में एक मनगढ़ंत लेख है, जिसमें तर्क और जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। ऐसी रिपोर्टों को न केवल खारिज किया जाए, बल्कि भारत सरकार को इस पर अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए और विश्व बैंक को अपने विशेष दर्जे का दुरुपयोग न करने का सुझाव देना चाहिए।

Web Title: Ashwini Mahajan blog India should reject World Bank development report

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