3084 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क, अनिल अंबानी की कंपनियों पर कार्रवाई, ईडी एक्शन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 3, 2025 17:09 IST2025-11-03T17:08:06+5:302025-11-03T17:09:19+5:30

दिल्ली में महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर का एक भूखंड तथा राष्ट्रीय राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और पूर्वी गोदावरी में कई अन्य संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं। मुंबई में चर्चगेट की 'नागिन महल' बिल्डिंग में ऑफिस, नोएडा में बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट्स और हैदराबाद में कैमस कैप्री अपार्टमेंट्स उन संपत्तियों में से हैं।

Anil Ambani's companies ED action Assets worth Rs 3084 crore seized delhi mumbai police | 3084 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क, अनिल अंबानी की कंपनियों पर कार्रवाई, ईडी एक्शन

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Highlightsकुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 3,084 करोड़ रुपये है।फंड का "प्रत्यक्ष" निवेश ‘‘कानूनी तौर पर संभव नहीं था।’’आखिरकार रिलायंस समूह की कंपनियों के खाते में चला गया।

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संपत्तियों को कुर्क करने के लिए चार अनंतिम आदेश जारी किए थे। इन संपत्तियों में अंबानी (66) का मुंबई के पाली हिल स्थित घर और उनके समूह की कंपनियों की अन्य आवासीय एवं वाणिज्यिक संपत्तियां शामिल हैं।

दिल्ली में महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर का एक भूखंड तथा राष्ट्रीय राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और पूर्वी गोदावरी में कई अन्य संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं। मुंबई में चर्चगेट की 'नागिन महल' बिल्डिंग में ऑफिस, नोएडा में बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट्स और हैदराबाद में कैमस कैप्री अपार्टमेंट्स उन संपत्तियों में से हैं।

जिन्हें ईडी ने फिलहाल कुर्क किया है। सूत्रों के अनुसार, कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 3,084 करोड़ रुपये है। यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा जुटाए गए सार्वजनिक धन की कथित हेराफेरी और धनशोधन से संबंधित है।

यस बैंक ने 2017 से 2019 के दौरान आरएचएफएल में 2,965 करोड़ रुपये और आरसीएफएल में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था। ईडी के अनुसार, दिसंबर 2019 तक ये निवेश ‘‘गैर-निष्पादित’’ निवेश में बदल गए, जिसमें आरएचएफएल पर 1,353.50 करोड़ रुपये और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपये बकाया थे।

अधिकारियों के मुताबिक, एजेंसी ने कहा कि जांच में पाया गया कि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) के म्यूचुअल फंड हितों के टकराव फ्रेमवर्क के कारण अनिल अंबानी समूह की वित्तीय कंपनियों में रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड का "प्रत्यक्ष" निवेश ‘‘कानूनी तौर पर संभव नहीं था।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए, आम लोगों द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश किया गया पैसा अप्रत्यक्ष रूप से यस बैंक के जरिए अनिल अंबानी समूह की कंपनियों तक पहुंचाया गया। ईडी ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि पैसे को आरएचएफएल और आरसीएफएल में यस बैंक के जरिए ‘‘अप्रत्यक्ष रूप से’’ भेजा गया था, जबकि इन दोनों कंपनियों ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों को ऋण दिए थे। एजेंसी ने कहा, ‘‘कॉरपोरेट लोन का बड़ा हिस्सा आखिरकार रिलायंस समूह की कंपनियों के खाते में चला गया।

इन ऋण की मंजूरी दिये जाने में ईडी को गंभीर खामियां मिली हैं।" अधिकारियों के मुताबिक, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और उससे जुड़ी कंपनियों की ऋण ‘‘धोखाधड़ी’’ की जांच भी ‘‘तेज़’’ कर दी है। इन कंपनियों पर ऋण को ‘एवरग्रीनिंग’ (किसी बैंक द्वारा ऐसे उधारकर्ता को नये या अतिरिक्त ऋण प्रदान करना, जो मौजूदा ऋण चुकाने में असमर्थ हो) करने में इस्तेमाल किए गए 13,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम की हेरफेर करने का आरोप है। ईडी की जांच के मुताबिक, 12,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम संबद्ध पक्षों को भेजी गई थी।

और 1,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा सावधि जमा (एफडी) और म्यूचुअल फंड वगैरह में निवेश किए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ‘‘अपराध से अर्जित धन’’ का पता लगाने और संपत्ति कुर्क करने का काम जारी रखे हुए है, ताकि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के एक प्रावधान के तहत बाद में उन्हें प्रभावित बैंकों को वापस किया जा सके।

ईडी ने इस मामले में अगस्त में उद्योगपति से पूछताछ की थी। यह पूछताछ 24 जुलाई को मुंबई में एजेंसी द्वारा 50 कंपनियों और उनके व्यावसायिक समूह के अधिकारियों समेत 25 लोगों के 35 परिसरों की तलाशी के बाद की गई थी। निदेशालय का यह धनशोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण (सीबीआई) ब्यूरो की एक प्राथमिकी से संबंधित है।

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