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सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी

By भाषा | Updated: September 23, 2021 17:48 IST

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नयी दिल्ली, 23 सितंबर सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी की गयी है। इस पहल का मकसद नवप्रवर्तन को बढ़ावा देना और नयी प्रौद्योगिकी का विकास करना है।

यह लाभ पहले सभी सरकारी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के लिये उपलब्ध था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि ये संस्थान कई शोध गतिविधियों में शामिल हैं। इन संस्थानों में प्रोफेसर/शिक्षक और छात्र कई नयी प्रौद्योगिकी का सृजन करते हैं जिसके वाणिज्यिकरण को सुगम बनाने के लिये पेटेंट की जरूरत है।

मंत्रालय के अनुसार पेटेंट शुल्क अधिक होने से इन प्रौद्योगिकियों के पेटेंट में एक हिचक होती है। फलत: यह नयी प्रौद्योगिकी के विकास में हतोत्साहित करता है।

उसने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट आवेदन और अभियोजन को लेकर शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी की गयी है। केंद्र ने पेटेंट नियम में संशोधन को अधिसूचित कर दिया है।’’

अधिसूचना के अनुसार शैक्षणिक संस्थान का अर्थ केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य कानूनों द्वारा या उसके तहत स्थापित विश्वविद्यालय है। इसमें केंद्र, राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नामित प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त कोई अन्य शैक्षणिक संस्थान भी शामिल है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने पेटेंट प्रक्रिया को आसान बनाने को लेकर कई कदम उठाये हैं, इससे पेटेंट परीक्षण में लगने वाला समय 2015 में औसतन 72 महीने से घटकर फिलहाल 12 से 30 महीने रह गया है। यह समय प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों पर निर्भर करता है।

बयान के अनुसार, ‘‘पेटेंट आवेदन के अंतिम रूप से निपटान में लगने वाला समय कम होकर फिलहाल औसतत 48 महीने है। इसे 2021 के अंत तक आवेदन देने के समय से कम कर औसतन 24 से 30 महीने किया जाएगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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