नई दिल्लीः स्टार क्रिकेटर स्मृति मंधाना को भारत के लिए खेलते हुए 12 साल हो गए हैं और इस दौरान उन्हें महसूस हुआ है कि उन्हें दुनिया में क्रिकेट से ज्यादा कुछ भी चीज पसंद नहीं है। भारत की बाएं हाथ की महान बल्लेबाज मंधाना ने 2013 में अपने पदार्पण से लेकर पिछले महीने टीम की विश्व कप में जीत में अहम भूमिका निभाने तक की अपनी यात्रा पर बात की। मंधाना ने अपने जुनून के बारे में बात करते हुए बुधवार को यहां ‘एमेजॉन संभव सम्मेलन’ में कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि क्रिकेट से ज्यादा मैं किसी चीज से प्यार करती हूं।
भारतीय जर्सी पहनना ही हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा है। आप अपनी सारी परेशानियां एक तरफ रख देते हैं और सिर्फ यही आपको जीवन पर ध्यान लगाने में मदद करता है। ’’ उन्हें अपने सपने को लेकर हमेशा से स्पष्टता थी। उन्होंने कहा, ‘‘बचपन से ही बल्लेबाजी का पागलपन था। कोई समझ नहीं पाता था, लेकिन मेरे दिमाग में हमेशा था कि मुझे विश्व चैंपियन कहलाना है। ’’
मंधाना ने कहा कि यह ट्रॉफी टीम के लंबे संघर्ष का फल है। भारतीय टीम की उप कप्तान ने कहा, ‘‘यह विश्व कप उन संघर्षों का पुरस्कार था जिनसे हम वर्षों से जूझते आए हैं। हम इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मैं 12 साल से ज्यादा समय से खेल रही हूं। कई बार चीजें हमारे मुताबिक नहीं होती। हमने फाइनल से पहले इसे अपने दिमाग में देखा था और जब स्क्रीन पर इसे सच होते देखा तो रोंगटे खड़े हो गए।
यह अविश्वसनीय और बहुत खास पल था। ’’ मंधाना ने बताया कि फाइनल में मिताली राज और झूलन गोस्वामी की मौजूदगी ने भावनाओं का स्तर बढ़ा दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘हम सच में उनके लिए यह जीत दर्ज करना चाहते थे। उनकी आंखों में आंसू देखकर लगा कि पूरा महिला क्रिकेट जीत रहा है। यह लड़ाई उनकी भी जीत थी। ’’
मंधाना ने कहा कि इस विश्व कप ने दो अहम सबक और मजबूत किए। उन्होंने कहा, ‘‘हर पारी शून्य से शुरू होती है, चाहे पिछली पारी में आपने शतक ही क्यों न बनाया हो। और कभी अपने लिए मत खेलो, हम यही बात एक-दूसरे को याद दिलाते रहे। ’’ संगीतकार पलाश मुच्छल से शादी तोड़ने के बाद मंधाना ने पहली बार किसी कार्यक्रम में शिरकत की।