'द ताज स्टोरी': सत्य की खोज में एक अदालती ड्रामा, जानिए खास

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 31, 2025 10:39 IST2025-10-31T10:35:01+5:302025-10-31T10:39:38+5:30

फ़िल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है: क्या ताजमहल वास्तव में मुगल स्थापत्य की देन है, या इसके पीछे कोई और ऐतिहासिक सत्य और आस्था की कहानी छिपी हुई है?

The Taj Story Official Trailer Paresh Rawal, Zakir Hussain, Amruta K Tushar A Goel 31st Oct A courtroom drama in search truth know  | 'द ताज स्टोरी': सत्य की खोज में एक अदालती ड्रामा, जानिए खास

'द ताज स्टोरी': सत्य की खोज में एक अदालती ड्रामा, जानिए खास

Highlightsसंतुलन, गहराई और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है।फिल्म को अनिवार्य रूप से देखी जाने वाली श्रेणी में खड़ा करता है।फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ होते ही देशव्यापी विमर्श का केंद्र बन गया था।

'द ताज स्टोरी' महज़ सिनेमाई मनोरंजन से कहीं बढ़कर है; यह एक साहसिक, विचारोत्तेजक और तथ्य-आधारित न्यायिक ड्रामा है जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्मारक, ताजमहल के पारंपरिक इतिहास पर सदियों से चल रही बहस को बड़े पर्दे पर उतारता है। निर्देशक तुषार अमरीश गोयल ने इस संवेदनशील विषय को जिस संतुलन, गहराई और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है।

वह अत्यंत प्रशंसनीय है और इस फिल्म को अनिवार्य रूप से देखी जाने वाली श्रेणी में खड़ा करता है। यह फ़िल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है: क्या ताजमहल वास्तव में मुगल स्थापत्य की देन है, या इसके पीछे कोई और ऐतिहासिक सत्य और आस्था की कहानी छिपी हुई है?

ट्रेलर विश्लेषण: विमर्श को जन्म देने वाला टीज़र

फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ होते ही देशव्यापी विमर्श का केंद्र बन गया था। 2 मिनट 58 सेकंड का यह दमदार ट्रेलर दर्शकों को सीधे कोर्ट रूम के केंद्र में खींच लाता है, जहाँ परेश रावल द्वारा निभाए गए टूर गाइड 'विष्णुदास' को दिखाया गया है, जो ताजमहल के इतिहास पर सवाल उठाते हुए कानूनी लड़ाई लड़ता है।

ट्रेलर में बोल्ड डायलॉग्स और विवादास्पद प्लेकार्ड को प्रमुखता मिली, जिसमें परेश रावल का शक्तिशाली कथन, "उनका काम तो तुड़वाने का था," दर्शकों के बीच वैचारिक बहस को हवा देता है। आगरा के परिवेश के उत्कृष्ट दृश्य और ताजमहल के मनोरम ड्रोन शॉट्स एक विज़ुअल ट्रीट प्रदान करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि फिल्म तकनीकी और कलात्मक दोनों मोर्चों पर उच्च स्तर पर तैयार है।

ट्रेलर स्पष्ट करता है कि फिल्म का ध्यान ताजमहल के नीचे मौजूद 22 कमरों के राज़ और उसके ऐतिहासिक डीएनए पर है—यह सिर्फ प्रेम की निशानी नहीं, बल्कि इतिहास का एक अनसुलझा सवाल है। इस दमदार कथानक की बोल्डनेस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली, जिसके फलस्वरूप इसे ग्लोबल बिज़नेस एक्सीलेंस अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का ख़िताब मिला।

निर्देशन और लेखन: साहस और संतुलन का संगम

तुषार अमरीश गोयल का निर्देशन निडर, संतुलित और प्रभावशाली है। उन्होंने इतिहास के विवादास्पद पहलुओं को उठाते हुए भी किसी एक पक्ष का अत्यधिक समर्थन नहीं किया है, बल्कि दर्शकों के लिए सत्य को खोजने का मार्ग प्रशस्त किया है। फिल्म की पटकथा इसकी नींव है, जिसके संवाद प्रभावशाली और सारगर्भित हैं, जो कोर्ट रूम ड्रामा की गंभीरता और गति को बनाए रखते हैं।

निर्माता सीए सुरेश झा ने एक ऐसे विषय को चुनने की दूरदर्शिता दिखाई, जिस पर वर्षों से सार्वजनिक बहस जारी है। साथ ही, क्रिएटिव प्रोड्युसर विकास राधेश्याम ने अपनी सोच और प्रस्तुति से फिल्म को एक विशिष्ट पहचान दी है, जो इसे कलात्मकता और संवेदनशीलता से भर देती है।

अभिनय: कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन

परेश रावल, अपने किरदार 'विष्णुदास' में दमदार और विश्वसनीय लगे हैं। वह एक सच्चाई की खोज में लगे आम आदमी के दृढ़ संकल्प और भावनात्मक संघर्ष को बड़े ही सहज ढंग से पर्दे पर उतारते हैं। उनका अभिनय फिल्म की रीढ़ है और इसकी गंभीरता को कई गुना बढ़ा देता है। ज़ाकिर हुसैन ने अपने किरदार को सधे हुए और ईमानदार अंदाज़ में निभाया है।

वहीं, अमृता खानविलकर और नमित दास ने सहायक किरदारों में अपनी परफॉर्मेंस से कहानी को भावनात्मक रूप से सशक्त बनाया है। अखिलेंद्र मिश्रा, बिजेंद्र काला, शिशिर शर्मा और अनिल जॉर्ज जैसे अनुभवी अभिनेताओं की उपस्थिति फिल्म के कथानक को मजबूती और गहराई प्रदान करती है।

संगीत और तकनीकी पक्ष: कहानी को मिलती है नई ऊँचाई

फिल्म का संगीत पक्ष बेहद मज़बूत है। कैलाश खेर और जावेद अली की सुरीली और शक्तिशाली आवाज़ों में पिरोए गए गीत न केवल कहानी को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दर्शकों की भावनाओं को भी गहराई से छूते हैं। तकनीकी रूप से भी फिल्म मजबूत है: सत्यजीत हाजर्निस की सिनेमैटोग्राफी शानदार है,

जिसने ताज और उसके ऐतिहासिक परिसर को बड़े ही भव्य ढंग से कैप्चर किया है, जबकि हिमांशु एम. तिवारी की एडिटिंग चुस्त और त्रुटिहीन है, खासकर कोर्ट रूम के तेज़ गति वाले दृश्यों में, जहाँ तनाव को बनाए रखना महत्वपूर्ण था।

विवाद और दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय

फिल्म की रिलीज़ से पहले ही इसके CBFC सर्टिफिकेशन को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और सांप्रदायिक माहौल खराब करने के आरोप लगाए गए थे। हालांकि, हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि "अदालत इतिहास पर निर्णय नहीं दे सकती" और "हम सुपर सेंसर बोर्ड नहीं हैं"। कोर्ट के इस निर्णय से फिल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ हो गया। यह विवाद स्वयं में यह दर्शाता है कि फिल्म का कथानक कितना प्रासंगिक और शक्तिशाली है।

अंतिम निष्कर्ष: विचारकों के लिए सिनेमा

'द ताज स्टोरी' एक साहसिक, कलात्मक रूप से उत्कृष्ट और विचार-उत्तेजक फिल्म है। यह उन दर्शकों के लिए एक ज़रूरी वॉच है जो सिनेमा में केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि इतिहास, विचार और दृष्टिकोण की एक गंभीर खोज चाहते हैं। निर्देशक, निर्माता और कलाकारों की पूरी टीम ने मिलकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी और दर्शकों को अपनी ऐतिहासिक समझ पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करेगी। हम इस असाधारण प्रयास के लिए 'द ताज स्टोरी' को 4/5 स्टार की रेटिंग देते हैं।

The Taj Story: 

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5 स्टार)

निर्देशक: तुषार अमरीश गोयल | निर्माता: सीए सुरेश झा | क्रिएटिव प्रोड्युसर: विकास राधेश्याम

कलाकार: परेश रावल, ज़ाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, नमित दास, अखिलेंद्र मिश्रा, बिजेंद्र काला, शिशिर शर्मा और अनिल जॉर्ज।

Web Title: The Taj Story Official Trailer Paresh Rawal, Zakir Hussain, Amruta K Tushar A Goel 31st Oct A courtroom drama in search truth know 

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