जोहानिसबर्ग , 14 मई: दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय संगीतकार और गायक रमेश हसन के निधन से बहुत दुखी है। हसन को देश में हिंदू - मुस्लिम एकता का चेहरा माना जाता था।
हसन (73) का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। जन्म के वक्त उनका नाम हसन सैब था, जिसे उन्होंने बदलकर रमेश हसन कर लिया था क्योंकि वह दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए संगीत के जरिए हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच सौहार्द पैदा करना चाहते थे।
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हसन ने 14 साल की उम्र से ही प्रस्तुति देना शुरू कर दी थी। उन्होंने एल्विस प्रेसली और क्लिफ रिचर्ड जैसे संगीतकार के मशहूर गीतों को अपने तरीके से गाया। बाद में उन्होंने हिंदी , तमिल , तेलुगु , गुजराती और उर्दू तथा देशज भाषाओं में अपनी गायकी का जौहर दिखाया।
नब्बे की दशक की शुरुआत में हसन अपने एक गीत के जरिए घर - घर में पहचाने जाने लगे। यह गीत इस बारे में था कि उनकी पत्नी जब अपने पति को किसी अन्य लड़की के साथ देखती है तो तमिल भाषा में किस तरह प्रतिक्रिया देती है ।
उन्होंने दक्षिण अफ्रीका का टूर किया और उस समय दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े मनोरंजन स्थल सन सिटी में शो करने वाले वह पहले स्थानीय भारतीय कलाकार बने।
दशकों बाद भी यहां भारतीय शादियों में यह गाना बजाया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के हर भारतीय संगीतकार की तरह हसन वित्तीय रूप से केवल कार्यक्रमों पर निर्भर नहीं रह सकते थे इसलिए उन्होंने कारोबार शुरू किया लेकिन कुछ कारणों से वह दिवालिया हो गए।
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