3 नेशनल अवॉर्ड, 2 हजार से ज्यादा गाने सरोज खान ने किए थे कोरियोग्राफ, पढ़ें बैकग्राउंड डांसर से 'मदर ऑफ डांस' बनने तक की पूरी कहानी
By पल्लवी कुमारी | Published: July 3, 2020 08:03 AM2020-07-03T08:03:12+5:302020-07-03T08:12:47+5:30
हिंदी सिनेमा जगत की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का कार्डियक अरेस्ट के चलते मुंबई में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से बीमार थीं। उनका कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया है। वे 71 साल की थीं।
नई दिल्ली: बॉलीवुड की जानी-मानी कोरियोग्राफर सरोज खान का निधन हो गया है। 71 वर्षीय सरोज खान का शुक्रवार देर रात कार्डियक अरेस्ट के चलते मुंबई में निधन हुआ। सरोज खान 17 जून से मुंबई के बांद्रा में स्थित गुरु नानक हॉस्पिटल में भर्ती थीं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था। मुंबई के चारकोप कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। सरोज खान बॉलीवुड की ऐसी कोरियोग्राफर थी, जिन्होंने चार दशकों तक बॉलीवुड के अभिनेता और अभिनेत्रियों के डांस कोरियोग्राफ किए थे।
महज तीन साल की उम्र में बतौर बैकग्राउंड डांसर किया था करियर शुरू
सरोज खान ने सिर्फ तीन साल की उम्र में बतौर बैकग्राउंड डांसर अपना करियर शुरू किया था। 1974 में सरोज खान को पहली बार डांस कोरियोग्राफी के गीता मेरा नाम से इंडस्ट्री में ब्रेक मिला था। चार दशक के लंबे करियर में सरोज खान ने 2 हजार से ज्यादा गाने कोरियोग्राफ किए थे। सरोज खान को अपनी कोरियोग्राफी की कला के लिए तीन बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका था।
इन तीन गानों के लिए सरोज खान को नेशनल अवार्ड
संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास में डोला-रे-डोला गाने की कोरियोग्राफी के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब के यादगार आइटम सॉन्ग एक-दो-तीन और साल 2007 में आई फिल्म जब वी मेट के सॉन्ग ये इश्क... के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था।
सरोज खान ने आखिरी बार करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म कलंक में 'तबाह हो गए' गाने गाने को कोरियोग्राफ किया था। इस गाने में माधुरी दीक्षित नजर आई थीं। फिल्म 2019 में रिलीज हुई थी। मिस्टर इंडिया से हवा हवाई (1987), तेजाब से एक दो तीन (1988), बेटा से धक-धक करने लगा (1992), और देवदास (2002) से डोला रे डोला सरोज खान द्वारा कोरियोग्राफ किए गए सुपरहिट गानों में से है।
सरोज खान का जन्म जन्म बॉम्बे स्टेट (वर्तमान महाराष्ट्र) में 22 नवंबर 1948 को हुआ था। उनका नाम बचपन में निर्मला था। उन्होंने तीन साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत फिल्म नजराना से बतौर बैकग्राउंड डांसर किया था। सरोज खान ने फिल्म कोरियोग्राफर बी. सोहनलाल के अधीन रखकर काम करते हुए डांस सीखा। जिसके बाद वह खुद कोरियोग्राफी करने लगीं।
सरोज खान को पहला ब्रेक कोरियोग्राफर के रूप में फिल्म गीता मेरा नाम (1974) में मिला। सरोज खान को अपना नाम बनाने में कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन देखते ही देखते वह बॉलीवुड की सबसे सफल कोरियोग्राफर बन गईं। सरोज खान को लोग 'मदर ऑफ डांस' (The Mother of Dance)बुलाते थे।