फिल्म HAQ की रिलीज का रास्ता साफ, शाह बानो की बेटी की याचिका HC ने की खारिज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 6, 2025 15:32 IST2025-11-06T15:31:39+5:302025-11-06T15:32:15+5:30

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने हिन्दी फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक की गुहार को लेकर इंदौर की शाह बानो बेगम की बेटी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है।

MP High Court Refuses to Ban Film Haq Shah Bano Daughter petition rejected | फिल्म HAQ की रिलीज का रास्ता साफ, शाह बानो की बेटी की याचिका HC ने की खारिज

फिल्म HAQ की रिलीज का रास्ता साफ, शाह बानो की बेटी की याचिका HC ने की खारिज

Highlightsफिल्म HAQ की रिलीज का रास्ता साफ, शाह बानो की बेटी की याचिका HC ने की खारिज

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने हिन्दी फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक की गुहार को लेकर इंदौर की शाह बानो बेगम की बेटी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है। इसके साथ ही, सात नवंबर (शुक्रवार) को फिल्म के पर्दे पर उतरने का रास्ता साफ हो गया है। फिल्म ‘हक’ में यामी गौतम धर और इमरान हाशमी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म शाह बानो बेगम के संघर्षपूर्ण जीवन के साथ ही उनके दायर उस बहुचर्चित प्रकरण से प्रेरित बताई जा रही है जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1985 में उच्चतम न्यायालय ने तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए भरण-पोषण के संबंध में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। वर्ष 1992 में शाह बानो बेगम का निधन हो गया था। फिल्म ‘हक’ की रिलीज रुकवाने के लिए उनकी बेटी सिद्दिका बेगम खान ने याचिका दायर करके उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में दावा किया गया था कि यह फिल्म उनके परिवार की सहमति के बिना बनाई गई है और इसमें उनकी दिवंगत मां के निजी जीवन से जुड़े प्रसंगों का गलत तरह से चित्रण किया गया है।


उच्च न्यायालय में बहस के दौरान फिल्म से जुड़ी कंपनियों के वकीलों की ओर से इस दलील को खारिज किया था और अदालत से याचिका निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था। अदालत ने सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चार नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसकी प्रति याचिकाकर्ता को बृहस्पतिवार को मिली। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने अपने फैसले में कहा,‘‘मेरा सुविचारित मत है कि याचिकाकर्ता इस मामले में हस्तक्षेप का कोई भी कारण प्रस्तुत करने में विफल रही हैं। इसके फलस्वरूप याचिका में कोई दम नजर नहीं आता और इसे खारिज किया जाता है।’’ शाह बानो बेगम ने 1978 में अपने वकील पति मोहम्मद अहमद खान द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उनसे गुजारा-भत्ता पाने के लिए स्थानीय अदालत में मुकदमा दायर किया था। शाह बानो की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने 1985 में इस महिला के पक्ष में फैसला सुनाया था। मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बाद राजीव गांधी सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम बनाया था। इस कानून ने शाह बानो प्रकरण में शीर्ष न्यायालय के फैसले को अप्रभावी बना दिया था।

Web Title: MP High Court Refuses to Ban Film Haq Shah Bano Daughter petition rejected

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